प्रशांत द्वीपों में गुपचुप तरीके से सैन्य बेस बना रहा चीन

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प्रशांत द्वीपों में गुपचुप तरीके से सैन्य बेस बना रहा चीन

प्रशांत द्वीपों में गुपचुप तरीके से सैन्य बेस बना रहा चीन


विदेश। आर्थिक एवं समुद्री सैन्य क्षमता बढ़ाने के प्रयासों के तहत चालबाज चीन प्रशांत द्वीपीय राष्ट्रों पर डोरे डाल रहा है। मीडिया रिपोर्ट बताती है कि माइक्रोनेशियाई देश किरिबाती ने चीन के लिए अपने बड़े सुरक्षित समुद्री क्षेत्रों को खोलने का एलान किया है, जिनका इस्तेमाल व्यावसायिक तौर पर मछली पकड़ने के साथ-साथ चीनी नौसैन्य अड्डे के रूप में किया जाएगा।

सिंगापुर पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, किरिबाती के राष्ट्रपति टानेटी मामाउ ने सुरक्षित समुद्री क्षेत्र को चीन के लिए खोलने का फैसला किया है। इससे किरिबाती सरकार को 20 करोड़ डालर की आमदनी होगी। रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन, प्रशांत द्वीपीय देशों के बीच बड़े कूटनीतिक एवं आर्थिक साझेदार के रूप में उभर रहा है। खासकर कोविड-19 महामारी के दौरान, जब ये छोटे देश आर्थिक संकट के दौर से गुजर रहे हैं।

लांकि, आस्ट्रेलिया से 2,000 किलोमीटर दूर स्थित वानुअतु ने चीन को सैन्य अड्डे के विकास की अनुमति देने की बात से इन्कार किया है। वानुअतु के सैंटो द्वीप में चीन की मदद से मछली पकड़ने एवं सैन्य अड्डे के तौर पर इस्तेमाल के लिए बंदरगाह का विकास किया जाना था, जिसका आस्ट्रेलिया व अमेरिका ने पुरजोर विरोध किया था।

दूसरी तरफ, आस्ट्रेलियाई थिंकटैंक एशिया एंड द पैसिफिक पालिसी सोसाइटी के मुताबिक, वर्ष 2006 से 2019 के बीच चीनी सेना के प्रतिनिधियों ने प्रशांत द्वीपीय राष्ट्रों के 24 दौरे किए हैं। ऐसे में अमेरिका के नेतृत्व वाले क्वाड व एयूकेयूएस जैसे संगठनों को क्षेत्र में चीन द्वारा पैदा की जाने वाली चुनौतियों पर पैनी नजर रखनी होगी।

प्रशांत द्वीपीय क्षेत्र में माइक्रोनेशिया, मेलानेशिया व पालीनेशिया आदि का गठन करने वाले देशों का दबदबा बढ़ता जा रहा है। चीन प्रशांत द्वीपों में अपनी कूटनीतिक व सैन्य ताकत बढ़ाने के लिए इन देशों के साथ मेलजोल बढ़ा रहा है। वह वानुअतु जैसे मेलानेशियाई देशों के संगठनों को भी वित्तीय मदद पहुंचा रहा है। 

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