चाणक्य नीति: लालच सभी दुखों का कारण है, इससे रहें दूर

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चाणक्य नीति: लालच सभी दुखों का कारण है, इससे रहें दूर

चाणक्य नीति: लालच सभी दुखों का कारण है, इससे रहें दूर


नई दिल्ली। चाणक्य की चाणक्य नीति कहती कि लोभ ही दुखों की कारण है। लोभ करने के वाला व्यक्ति कभी संतुष्ठ नहीं होता है जिस कारण व्यक्ति परेशान और बैचेन रहता है। लोभ यानि लालच को जिस व्यक्ति ने अपने मन निकाल दिया वह सच्चे सुख के महत्व को जान जाता है।

श्रीमद्भागवत गीता में भी भगवान श्रीकृष्ण लोभ से मुक्त रहने का संदेश देते हैं। भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन से कहते हैं कि जिस व्यक्ति ने अपनी इंद्रियों पर नियंत्रण कर लिया उसके लिए कुछ भी असंभव नहीं है। लोभ व्यक्ति को गलत कार्यों के लिए प्रेरित करता है। गलत कार्यों को करने से व्यक्ति मुसीबत में फंस जाता है। यही नहीं लोभ के कारण व्यक्ति को कभी कभी शर्मिंदा भी होना पड़ता है। लोभ करने वाले व्यक्ति के जीवन में यश नहीं होता है। उसे कई बार अपयश का भी सामना करना पड़ता है।

विद्वानों का मत है कि व्यक्ति को अपने परिश्रम पर भरोसा करना चाहिए। लोभ करने से कुछ भी प्राप्त नहीं होगा। लोभ कई प्रकार की बुराईयों को जन्म देता है। जब व्यक्ति में बुराईयां आ जाती है तो उसकी प्रतिभा का नाश हो जाता है। इसलिए लोभ नहीं करना चाहिए। लोभ करने वाला व्यक्ति दूसरों की प्र्रगति से जलता है, उसे नीचा दिखाने के लिए कभी कभी व्यक्ति अनैतिक कार्यों को करना लगता है। जीवन में जब ऐसी स्थिति बनने लगे तो व्यक्ति का पतन आरंभ हो जाता है। विद्वानों का मत है कि लोभ से मुक्त रहने के लिए व्यक्ति को अपनी इंद्रियों पर विजय प्राप्त करनी चाहिए। धर्म और अध्यात्म को अपनाने से लोभ दूर होता है। व्यक्ति जब जीवन के महत्व को जान लेता है तो लोभ समाप्त हो जाता है। प्रकृति और मानवता के नजदीक आने से लोभ की कामना दूर होती है।

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