आगरा में पुलिस के नाकारापन की सजा भुगत रहा मासूम, अपनों का आज भी इंतजार
पब्लिक न्यूज डेस्क। इसे पुलिस का नाकारापन कहें या अमानवीयता। चार माह पहले एसएन मेडिकल कालेज के बाल रोग विभाग में मिला मासूम शिशु गृह में अनाथों की तरह जिंदगी जी रहा है। दुनिया में उसके अपने हो सकते हैं, फिर भी वह पहचान को तरस रहा है। वजह यह है कि,पुलिस उसके माता-पिता की तलाश में कोई रुचि नहीं ले रही है। उस मासूम की जिंदगी पुलिस की प्राथमिकताओं में शामिल नहीं है। क्योंकि उसकी पैरवी करने वाला कोई नहीं है। जन्म लेते ही उसकी जिंदगी की गुत्थी उलझ सी गई है। इसे सुलझाने के पुलिस ने तीन माह में कोई प्रयास नहीं किए। पुलिस की दिशाहीन जांच अभी तक किसी नतीजे पर नहीं पहुंची और कब पहुंचेगी यह भी पता नहीं। मामला थाने से लेकर वरिष्ठ अधिकारियों तक के संज्ञान में है। इसके बाद भी सभी असंवेदनशील बने हुए हैं।
- 4 अगस्त को मोईन ने नवजात को निजी हास्पिटल में भर्ती कराया।
- 7 अगस्त को मोईन एसएन मेडिकल कालेज के बाल रोग विभाग में भर्ती कराने के बाद उसे छोड़ गया।
- 19 अगस्त को नवजात ठीक हो गया। उसे बाल कल्याण समिति के आदेश पर राजकीय बाल गृह शिशु सिरौली में शिफ्ट कर दिया।
- 24 अगस्त को मोईन ने अपने घर दो बार फाेन किया। तब उसकी लोकेशन पलवल और मथुरा में बताई गई थी।
-मोईन ने 24 अगस्त को जब काल किया था तो उसके मोबाइल की लोकेशन पलवल और मथुरा में मिली थी।इसके आधार पर उसकी तलाश की जाती।
-मोईन को किसी भी तरह से तलाशकर सामने लाना चाहिए। इसके बाद बच्चे से उसका डीएनए मिलान कराया जा सकता है। इससे यह स्पष्ट हो जाता कि बच्चा मोईन का है या नहीं?
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