आगरा में पुलिस के नाकारापन की सजा भुगत रहा मासूम, अपनों का आज भी इंतजार

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आगरा में पुलिस के नाकारापन की सजा भुगत रहा मासूम, अपनों का आज भी इंतजार

आगरा में पुलिस के नाकारापन की सजा भुगत रहा मासूम, अपनों का आज भी इंतजार


पब्लिक न्यूज डेस्क। इसे पुलिस का नाकारापन कहें या अमानवीयता। चार माह पहले एसएन मेडिकल कालेज के बाल रोग विभाग में मिला मासूम शिशु गृह में अनाथों की तरह जिंदगी जी रहा है। दुनिया में उसके अपने हो सकते हैं, फिर भी वह पहचान को तरस रहा है। वजह यह है कि,पुलिस उसके माता-पिता की तलाश में कोई रुचि नहीं ले रही है। उस मासूम की जिंदगी पुलिस की प्राथमिकताओं में शामिल नहीं है। क्योंकि उसकी पैरवी करने वाला कोई नहीं है। जन्म लेते ही उसकी जिंदगी की गुत्थी उलझ सी गई है। इसे सुलझाने के पुलिस ने तीन माह में कोई प्रयास नहीं किए। पुलिस की दिशाहीन जांच अभी तक किसी नतीजे पर नहीं पहुंची और कब पहुंचेगी यह भी पता नहीं। मामला थाने से लेकर वरिष्ठ अधिकारियों तक के संज्ञान में है। इसके बाद भी सभी असंवेदनशील बने हुए हैं।

एसएन मेडिकल कालेज के बाल रोग विभाग में सात अगस्त को मोईन नाम का युवक एक नवजात को भर्ती कराके चला गया। इसके बाद वापस नहीं आया। एसएन मेडिकल कालेज प्रशासन की ओर से थाना एमएम गेट को इसके संबंध में सूचना दी गई। पुलिस ने जीडी में तस्करा डालकर जांच शुरू कर दी। जैसे-जैसे शुरुआती जांच आगे बढ़ी नए तथ्य सामने आए। पुलिस को जानकारी हुई कि नवजात को पहले उसी युवक ने दिल्ली गेट स्थित एक निजी हास्पिटल में भर्ती कराया था। वहां से उसे एसएन मेडिकल कालेज लाया गया। 19 अगस्त को नवजात इलाज के बाद ठीक हो गया। इसके बाद बाल कल्याण समिति के आदेश पर उसे राजकीय बाल गृह शिशु सिरौली में शिफ्ट कर दिया गया। मोईन सिकंदरा के बाईंपुर का रहने वाला है। उसके स्वजन ने एमएम गेट थाना पुलिस से संपर्क किया और जानकारी दी कि चार जुलाई को वह घर से निकला था। इसके बाद वापस नहीं आया। उन्होंने थाने में तहरीर भी दी। इसमें लिखा था कि उन्हें आशंका है कि मोईन कुछ गलत लोगों के संपर्क में है। चार अगस्त को वह नवजात को दिल्ली गेट स्थित निजी हास्पिटल में भर्ती कराने पहुंचा था। वह बच्चा उसने अपने दोस्त का बताया था। मगर, किस दाेस्त का है? यह नहीं बताया। बच्चे को वहां से एसएन मेडिकल कालेज में भर्ती कराने के बाद मोईन गायब हो गया है। 24 अगस्त को मोईन ने अपने घर फोन किया। इसकी जानकारी भी स्वजन ने पुलिस को दी। तब उसकी लोकेशन पलवल और मथुरा में मिली। मगर, पुलिस ने वहां जाकर तलाशने की कोशिश नहीं की। स्वजन ने अपने स्तर से आठ दिन तक वहां तलाश की, लेकिन मोईन का कुछ पता नहीं चला। तब से लेकर अब तक पुलिस ने इस मामले में मोईन की तलाश का कोई प्रयास नहीं किया। बिना उसके मिले, बालक की मां और पिता के बारे में जानकारी मिलना संभव नहीं है।

- 4 अगस्त को मोईन ने नवजात को निजी हास्पिटल में भर्ती कराया।

- 7 अगस्त को मोईन एसएन मेडिकल कालेज के बाल रोग विभाग में भर्ती कराने के बाद उसे छोड़ गया।

- 19 अगस्त को नवजात ठीक हो गया। उसे बाल कल्याण समिति के आदेश पर राजकीय बाल गृह शिशु सिरौली में शिफ्ट कर दिया।

- 24 अगस्त को मोईन ने अपने घर दो बार फाेन किया। तब उसकी लोकेशन पलवल और मथुरा में बताई गई थी।

पुलिस को क्या करना चाहिए था

-मोईन ने 24 अगस्त को जब काल किया था तो उसके मोबाइल की लोकेशन पलवल और मथुरा में मिली थी।इसके आधार पर उसकी तलाश की जाती।

-मोईन को किसी भी तरह से तलाशकर सामने लाना चाहिए। इसके बाद बच्चे से उसका डीएनए मिलान कराया जा सकता है। इससे यह स्पष्ट हो जाता कि बच्चा मोईन का है या नहीं?

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