अरशद मदनी बोले- न्याय में देरी का खामियाजा भुगत रहे बेगुनाह

 

सहारनपुर। वर्ष 2009 में अहमदाबाद और सूरत में हुए बम धमाकों के मामलों में 13 साल बाद 28 मुस्लिम युवकों के बरी होने पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए जमीयत उलमा-ए-हिंद के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना सैयद अरशद मदनी ने कहा कि पुलिस की सुस्ती के कारण अदालतों का फैसला आने में सालों लग जाते हैं। न्याय में देरी का खामियाजा निर्दोष लोगों को भुगतना पड़ता है।  

मंगलवार को जारी बयान में मौलाना सैयद अरशद मदनी ने कहा कि आज सबसे बड़ा सवाल यह है कि इन बेगुनाहों के 13 साल के कीमती जीवन के नुकसान की भरपाई कौन करेगा और इसके लिए कौन जिम्मेदार है। इस प्रकार के मामलों का एक निश्चित समयावधि में निर्णय क्यों नहीं किया जाता है। जब तक इन सभी सवालों का जवाब नहीं दिया जाता, तब तक ऐसे बेगुनाह लोगों को सालों सलाखों के पीछे रहना पड़ेगा। 

मौलाना मदनी ने कहा कि 28 लोगों का बरी होना इस बात का एक और स्पष्ट प्रमाण है कि कैसे पक्षपाती जांच एजेंसियां और अधिकारी निर्दोष मुस्लिमों और उनके भविष्य को फर्जी आतंकवाद के मामलों में फंसाकर नष्ट कर रहे हैं, जबकि हम लगातार मांग कर रहे हैं कि मासूम युवाओं की जिंदगी से खिलवाड़ करने के लिए पुलिस को जवाबदेह ठहराया जाए। 

उन्होंने कहा कि सांप्रदायिक ताकतें मुसलमानों के सामाजिक, आर्थिक और शैक्षिक विकास के खिलाफ हैं। युवाओं के जीवन को तबाह करने के लिए आतंकवाद को हथियार के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है। 

मौलाना मदनी ने कहा कि न्यायिक व्यवस्था में तेजी लाना समय की मांग है। दुनिया के कई देशों में एक निश्चित अवधि के भीतर किसी मामले को बंद करने का कानून है, लेकिन हमारे पास ऐसा कोई विशेष कानून नहीं है।

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