रामलीला, लट्ठमार और फूलों की होली देखने उमड़े दर्शक
संवाददाता विवेक मिश्रा
चित्रकूट
राष्ट्रीय रामायण मेला के समापन अवसर पर वृंदावन से आए श्री कृष्ण रामलीला संस्था के कलाकारों ने धनुष यज्ञ लीला का मनोहारी मंचन किया। दर्शकों से खचाखच भरा मंडपम तालियों की गड़गडाहट से गूंजता रहा। राजा जनक का विलाप सुन दर्शकों की आंखे भर आई। धनुष टूटते ही दर्शकों ने जय श्रीराम के जयघोष किए। परशुराम और लक्ष्मण संवाद देख दर्शक रोमांचित हो उठे।
रामलीला के माध्यम से कलाकारों ने लोगों को मर्यादा, संयम, सहज स्वभाव, क्रोध पर अंकुश लगाने का संदेश दिया। सायंकालीन सांस्कृतिक संध्या का कार्यक्रम दर्शकों के आकर्षण का केंद्र रहा। सुजाता केसरी प्रयागराज ने रामोत्सव पर नृत्य, कजली नृत्य, डेढ़िया नृत्य की प्रस्तुतियों से मंत्रमुग्ध कर दिया। मेनका मिश्रा लखनऊ ने मनमोहक लोक गीत प्रस्तुत किये। जिसकी लोगों ने जमकर सराहना की। इसके पश्चात बांदा से आई उभरती कथक नृत्यांगना अनुपमा त्रिपाठी अपनी प्रस्तुति से शमां बांध दिया।
अनुपमा ने जयपुर घराने के शुद्ध कथक नृत्य धा सा सरगम जिसमें कथक की पारंपरिक बंदिशें होती है प्रदर्शित की। इसके बाद राम के जीवन से जुडे कथानको को नृत्य के माध्यम से जीवंत कर दिया। देर रात तक वृन्दावन रामलीला-रासलीला संस्था ने ब्रज की प्रसिद्ध लट्ठमार व फूलो की होली का मंचन किया। दर्शको ने इस रसमयी प्रस्तुति का लुत्फ उठाया।