गृहमंत्री अमित शाह ने संसद में जम्मू कश्मीर भाषण में कई ऐलान किए, जानिए क्या कहा 

बिल को लेकर उठे सवालों का गृहमंत्री अमित शाह ने खुलकर जवाब दिया। विपक्षियों ने पूछा था कि जम्मू कश्मीर से धारा 370 हटाने के
 

पब्लिक न्यूज़ डेस्क- बिल को लेकर उठे सवालों का गृहमंत्री अमित शाह ने खुलकर जवाब दिया। विपक्षियों ने पूछा था कि जम्मू कश्मीर से धारा 370 हटाने के बाद क्या हुआ, इसका जवाब भी उन्होंने अपनी स्पीच में काफी विस्तार से दिया। मंत्री अमित शाह ने कहा कि जम्मू-कश्मीर आरक्षण संशोधन अधिनियम 2023 और जम्मू कश्मीर पुनर्गठन संशोधन विधेयक 2023 पेश किया गया है, वह उन लोगों को न्याय दिलाएगा, जिन पर 70 वर्षों से अन्याय किया जा रहा था। जो अपमानित हुए और जिनकी अनदेखी की गई। उन्हें अधिकार और सम्मान देने के लिए, उनका विकास करने के लिए यह बिल पेश किया गया है। गृहमंत्री अमित शाह ने अपनी स्पीच में कहा कि नए बिल में एक प्रावधान किया गया है, जिसके अनुसार, वहां की विधानसभा में पहले 3 नॉमिनेटेड सदस्य होते थे, अब 5 नॉमिनेटेड होंगे। जम्मू में अब 43 और कश्मीर 47 विधानसभा सीटें होंगी। उन्होंने कहा कि पंडित जवाहर लाल नेहरू के समय में जो गलतियां हुई थीं, उसका खामियाजा सालों तक कश्मीर को भुगतना पड़ा। पहली और सबसे बड़ी गलती रही कि हमारी सेना जीत रही थी, लेकिन पंजाब का एरिया आते ही सीजफायर कर दिया गया, जिससे POK का जन्म हुआ। अगर सीजफायर 3 दिन बाद होता तो आज POK भारत का हिस्सा होता। दूसरी गलती UN में भारत के आंतरिक मसले को ले जाने की थी। इस बिल पर आज चर्चा हो रही है। मुझे पूरा विश्वास है कि इस बिल के लागू होने से जम्मू कश्मीर का विकास होगा।

मंत्री शाह ने कहा कि 1994 से 2004 के दौरान 40,164 आतंकी वारदातें हुईं। 2004 से 2014 तक सोनिया गांधी और मनमोहन सिंह के राज में 7217 आतंकी घटनाएं हुईं। 2014 से 2023 तक मोदी काल में आतंकी घटनाओं में 70% की कमी आई और सिर्फ 2 हजार घटनाएं हुईं। जम्मू कश्मीर के लोगों को आर्थिक आरक्षण देने की बात कभी नहीं की गई। मोदी सरकार ने जम्मू कश्मीर के आर्थिक रूप से पिछड़े छात्रों को 10% आरक्षण दिया। पिछड़ा वर्ग आयोग को 70 सालों से संवैधानिक मान्यता नहीं मिली थी, मोदी सरकार ने वह मान्यता दिलाई। काका कालेलकर रिपोर्ट और मंडल कमीशन की रिपोर्ट लागू नहीं हुईं।

मंत्री अमित शाह ने कहा कि जो कहते थे कि जम्मू कश्मीर में धारा 370 हटाने के बाद क्या हुआ? अरे वे तो मूल से ही कटे हैं, मूल के साथ संपर्क ही नहीं किया कभी तो कैसे पता चलेगा कि जम्मू कश्मीर में बदलाव क्या-क्या हुए। कुछ लोग पूछ रहे थे कि विस्थापित कश्मीरी पंडितों को आरक्षण देने से क्या फायदा होगा? कश्मीरी पंडितों को आरक्षण देने से कश्मीर की विधानसभा में उनकी आवाज गूंजेगी। जब कश्मीरी विस्थापित हुए तो अपने ही देश में उन्हें शरणार्थी बनना पड़ा। 46631 परिवार और करीब डेढ़ लाख लोग अपने ही देश में विस्थापित हुए। उनकी जड़ें अपने देश और प्रदेश से उखड़ गईं। यह बिल उनको अधिकार देने का है, उनको प्रतिनिधित्व देने का है। वे लोग इस बिल का महत्व नहीं समझ सकते, जो उनका उपयोग वोट बैंक के लिए करते हैं। नरेन्द्र मोदी ऐसे नेता हैं, जो गरीब घर में जन्म लेकर देश के प्रधानमंत्री बने हैं, वह पिछड़ों और गरीबों का दर्द जानते समझते हैं।