दिव्यांग होते हुए भी ऐसा इतिहास रचा कि UPSC के इतिहास में रिकॉर्ड, दोनों ने शिद्दत से एग्जाम की तैयारी की और अच्छी रैंक लेकर अफसर बन गई जानिए
पब्लिक न्यूज़ डेस्क- संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) ने सिविल सर्विसेज एग्जाम (CSE) 2023 का परिणाम जारी किया है। उत्तर प्रदेश के लखनऊ जिला निवासी आदित्य श्रीवास्तव ने पहला रैंक हासिल करके देशभर में टॉप किया है, लेकिन UPSC क्रैक करने वाले 1016 कैंडिडेट्स में 2 लड़कियां काफी सुर्खियों में हैं, क्योंकि दोनों लड़कियों ने दिव्यांग होने के बावजूद हिम्मत नहीं हारी और देश का सबसे मुश्किल एग्जाम पास करके साबित कर दिया कि कुछ कर गुजरने का जोश और जुनून हो तो सफलता निश्चित की कदम चूमेगी।
दोनों लड़कियां केरल की रहने वाली हैं। पार्वती ने हादसे में अपना दायां हाथ खो दिया था, फिर भी 282वीं रैंक हासिल की। सारिका सेरेब्रल पल्सी नामक खौफनाक बीमारी से पीड़ित है और दाएं हाथ से दिव्यांग है। व्हीलचेयर पर रहती है, फिर भी लड़की ने 922वीं रैंक हासिल करके इतिहास रचा है। आइए दोनों की सफलता की कहानी पढ़ते हैं और उनके जज्बे को सलाम करते हैं। पार्वती गोपकुमार ने 282वीं रैंक लेकर UPSC 2023 क्रैक किया है। वह केरल के अंबालापुझा इलाके की रहने वाली है। उसने अपने बाएं हाथ से लिखकर एग्जाम दिया और अच्छी रैंक के साथ वह अफसर बन गई है। हालांकि पार्वती इस उपलब्धि से खुश हैं, लेकिन वे कहती हैं कि अगर दाएं हाथ से लिख पाती और इससे अच्छी रैंक वे लेतीं। वे बताती हैं कि उन्होंने 12 साल की उम्र में अपना दायां हाथ खो दिया था। कोहनी तक उनका हाथ-बाजू कटी है। लॉ से ग्रेजुएट पार्वती प्रशासनिक अधिकारी बनकर जनसेवा करना चाहती हैं, इसलिए उन्होंने UPSC एग्जाम देने का संकल्प लिया। हालांकि कृत्रिम हाथ है, लेकिन टेक्नोलॉजी इतनी एडवांस नहीं हुई कि वे उस कृत्रिम हाथ से लिख पातीं। इसलिए उन्होंने बाएं हाथ से लिखने का अभ्यास किया। प्रतिदिन 20 घंटे प्रैक्टिस की, जो काफी दर्द भरा अनुभव रहा, लेकिन परिवार और दोस्तों ने हिम्मत बंधाए रखी। एग्जाम में लिखने का एक्स्ट्रा समय भी मिला और सफलता ने कदम चूम लिए।
UPSC क्रैक करने वाली दूसरी लड़की का नाम सारिका है, जो केरल के ही कोझीकोड की रहने वाली है। वह जन्म से ही सेरेब्रल पल्सी नामक गंभीर, दर्दनाक और खौफनाक बीमारी से जूझ रही हैं। फिर भी सारिका ने UPSC की तैयारी की और 922वां रैंक हासिल किया। सारिका का दायां हाथ काम नहीं करता। वह चलने-फिरने में भी असमर्थ हैं। इलेक्ट्रिक व्हील चेयर को कंट्रोल करने के लिए भी बाएं हाथ का इस्तेमाल करती हैं। ग्रेजुएशन करने के बाद सारिका साल 2022 से ही तैयारी कर रही थीं और ऑनलाइन क्लास भी जॉइन की थी। UPSC करने का फैसला लेने वाली सारिका कहती हैं कि उन्हें एग्जाम में लिखने के लिए राइटर मिला था। प्रीलिम्स कोझीकोड में हो गए थे। मेन्स एग्जाम तिरुवनंतपुरम में हुए, जहां करीब एक हफ्ते तक रहना पड़ा। इसके लिए मां-बाप ने किराये पर घर लिया। पिता सऊदी अरब के कतर में नौकरी करते हैं, लेकिन मेरा एग्जाम दिलाने के लिए वे स्पेशली भारत आए। दिल्ली में इंटरव्यू हुआ तो केरल हाउस में रही। उस समय भी मां-बाप साथ थे। उन्होंने पूरा सहयोग किया। उनके आशीर्वाद और सहयोग से ही UPSC क्रैक कर पाई, इसकी बहुत खुशी है। मेरी सफलता का सारा श्रेय उन्हें ही जाता है।