127 साल की उम्र, फुर्ती ऐसी कि देखने वाले रहे जाते हैं दंग, स्वामी शिवानंद की ये है दिनचर्या
पब्लिक न्यूज़ डेस्क। उम्र 127 साल लेकिन चुस्ती और फुर्ती ऐसी की देखने वालों को भरोसा ना हो। हम बात कर रहे हैं योगाचार्य स्वामी शिवानंद की। दुर्गाकुंड पर उनके आश्रम में जब हम स्वामी शिवानंद से मिलने पहुंचे तो वह बच्चों की तरह खिलखिला कर मिले।
योग दिवस के मद्देनजर स्वामी शिवानंद से हमने बातचीत की तो उन्होंने अपनी दिनचर्या और योग पर खुलकर बात की। उनका कहना है कि उनकी उम्र 127 साल जरूर है लेकिन वह इसे महज एक नंबर ही मानते हैं। वह आज तक बीमार नहीं पड़े। इसकी वजह शायद यही है कि वह किशोर अवस्था से ही योग करते आ रहे हैं। उनका कहना है कि योग की वजह से अनिद्रा और तनाव की समस्या नहीं होती। प्राणायाम करने से कभी दवा का सहारा नहीं लेना पड़ा। उन्होंने कका, आजकल के युवाओं से मैं कहना चाहता हूं कि अगर वो योग को अपने जीवन में शामिल कर लेंगे तो आधी लड़ाई यूं ही जीत जाएंगे। युवाओं को योग के लिए प्रेरित करते हुए कहा कि स्वस्थ रहने के लिए योग जरूरी है। इससे ही शरीर स्वस्थ रहेगा और हमेशा साथ देगा।
नियम और संयम जीवन में जरूरी
स्वामी शिवानंद का कहना है कि जीवन में नियम और संयम का होना बहुत जरूरी है। वह रोज नियम से तड़के तीन बजे उठ जाते हैं। पानी से आंख धोकर दैनिक क्रियाओं से निवृत्त होते हैं। जैसा मौसम होता है उसके अनुसार ठंडे या गर्म पानी से स्नान करते हैं। इसके बाद एक घंटा टहलते हैं और अपने गुरु मंत्र का जाप करते हैं। इसके बाद एक घंटा योगासन करते हैं।
ये आसन शामिल करें दैनिक जीवन में
स्वामी शिवानंद सर्वांगासन करते हैं और कहते हैं कि इससे थाॅयराइड कभी नहीं होगा। इसके बाद पवन मुक्तासन जरूर करना चाहिए। इससे पेट और गैस की समस्या नहीं होती। वज्रासन वह भोजन करने के बाद करते हैं। इससे खाना आसानी से पच जाता है। योगासन के बाद पूजा करते हैं।
बिना नमक-तेल और उबला भोजन करते हैं शिवानंद
स्वामी शिवानंद दोपहर में भोजन ग्रहण करते हैं। उनका भोजन बिना तेल-नमक वाला होता है। इसमें उबली दाल और सब्जियां होती है। शरीर में नमक की पूर्ति के लिए वह कभी कभी केवल सेंधा नमक का सेवन कर लेते हैं। वे दिन में कभी नहीं सोते। रोज शाम को आठ बजे स्नान करते हैं और रात्रि भोजन में जौ से बना दलिया, आलू का चोखा और उबली सब्जियां लेते हैं। इसके बाद रात नौ बजे तक वे सो जाते हैं। उनका कहना है कि अगर हम योग, आहार विहार, नियम और संयम को जीवन का अंग बना लें तो जीवन की राह सरल हो जाएगी। बीमारियां कोसों दूर रहेंगी।