सावन में कब है पुत्रदा एकादशी? इस दिन व्रत और पूजा से पूरी होती है मनोकामना

महीने में पड़ने वाली हर एकादशी को बहुत ही खास माना जाता है
 

पब्लिक न्यूज़ डेस्क। महीने में पड़ने वाली हर एकादशी को बहुत ही खास माना जाता है। इस दिन भगवान श्रीहरि विष्णु की पूजा सच्चे मन से करने से जीवन में आने वाले हर कष्ट मिट जाते हैं। सावन में पुत्रदा और पवित्रा एकादशी बहुत ही खास होती है। यह व्रत शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को रखा जाता है। अंग्रेजी कैलेंडर के मुताबिक यह एकादशी जुलाई या फिर अगस्त के महीने में आती है। इस साल पुत्रदा एकादशी अगस्त के महीने में मनाई जाएगी। कब है पुत्रदा या पवित्रा एकादशी और इस दिन व्रत रखने से पूरी होती है कौन सी मनोकामना और क्या है पूजा विधि और शुभ मुहूर्त जानें यहां। 

सावन पुत्रदा एकादशी का महत्व

सावन की पवित्रा एकादशी ही पुत्रदा एकादशी कहलाती है। हिंदू धर्म में इस व्रत का क्या महत्व है इस बात का अंदाजा इसके नाम से ही लगाया जा सकता है। पुत्रदा एकादशी का मतलब है कि पुत्र प्राप्ति की मनोकामना वाली एकादशी। संतानविहीन लोगों के लिए इस एकादशी का खास महत्व है। इस दिन सच्चे मन से व्रत रखकर श्रीहरि विष्णु की पूजा करने से पुत्र प्राप्ति की कामना पूरी होती है। 

कब है पुत्रदा एकादशी और शुभ मुहूर्त

सावन की पुत्रदा एकादशी का व्रत इस साल 27 अगस्त यानी कि रविवार के दिन रखा जाएगा। हिंदू पंचांग के अनुसार श्रावण माह में शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 26 अगस्त, शनिवार को देर रात 12 बजकर 8 मिनट पर शुरू होगी और यह 27 अगस्त को रात 9 बजकर 32 मिनट तक रहेगी। पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 5 बजकर 56 मिनट से शुरू होकर 7 बजकर 16 मिनट तक रहेगा। इस दौरान सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहा है। यह समय पुत्रदा एकादशी की पूजा के लिए बहुत ही शुभ माना गया है।  धार्मिक मान्यता है कि इस दौरान किया गया हर कामकाज सफल होता है। इस शुभ मुहूर्त के बाद पूजा 7:33 बजे से दोपहर 12:23 के बीच भी की जा सकती है। 

पुत्रा एकादशी व्रत के पारण का समय

पुत्रदा या पवित्रा एकादशी के व्रत का पारण अगले दिन यानी कि 28 अगस्त, सोमवार को किया जाएगा.पारण का समय सुबह 5 बजकर 57 मिनट से सुबह 8 बजकर 31 मिनट तक है.इस बीच कभी भी व्रत का का पारण किया जा सकता है। एकादशी का व्रत पारण करने के बाद ही पूरा माना जाता है, इसीलिए शुभ मुहूर्त में व्रत का पारण जरूर करना चाहिए। 

कैसे रखें पुत्रदा एकादशी व्रत

सावन की पुत्रदा एकादशी का व्रत रखने के लिए सुबह जल्दी उठकर सबसे पहले नहाना चाहिए।  साफ कपड़े पहनकर पूजाघर को भी शुद्ध करना चाहिए। इसके बाद भगवान विष्णु की प्रतिमा के सामने घी का दीपक जलाए और व्रत रखने का संकल्प लें। इस दिन पूजा में तुलसी दल का इस्तेमाल करना बहुत ही शुभ माना जाता है। पुत्रदा एकादशी पर सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहा है ऐसे में मंदिर जाकर भी श्रीहरि और हर की आराधना की जा सकती है। मंदिर में जाकर भगवान विष्णु के साथ ही महादेव की उपासना के लिए शिवलिंग पर जलाभिषेक करना चाहिए। इस व्रत का शुभ फल पाने के लिए भोजन नहीं करना चाहिए। पारण के समय ही खाना खाना चाहिए। इस तरह व्रत रखने से जगत के पालनहार श्रीहरि प्रसन्न होते हैं।