चाणक्य नीति: जीवन में सफल होना है तो ज्ञानी बनो

 

पब्लिक न्यूज़ डेस्क। चाणक्य की चाणक्य नीति के अनुसार ज्ञानी व्यक्ति हर परिस्थिति में धैर्य बनाए रखता है। गीता के उपदेश में भी भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन को ज्ञान के महत्व बताते हैं। विदुर की विदुर नीति ज्ञानी की परिभाषा बहुत ही प्रभावशाली ढंग से व्यक्त करती है।

विदुर को महात्मा विदुर भी कहा जाता है। महाभारत के सबसे लोकप्रिय पात्रों की जब बात आती है तो इसमें एक नाम विदुर का भी आता है। ऐसा माना जाता है कि महाभारत की कथा के दो आधार स्तंभ हैं। प्रथम श्रीमद्भागवत गीता और दूसरा विदुर नीति। पौराणिक कथाओं के अनुसार विदुर को धर्मराज का अवतार भी माना गया है।

विदुर सदैव सत्य बोलते थे
विदुर हमेशा सत्य बोलते थे। वे पहले ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने महाभारत के युद्ध को विनाशकारी बताया था और इसे रोके जाने की धृतराष्ट्र से प्रार्थना की थी। विदुर राजा धृतराष्ट्र के सलाहकार भी थे।

ज्ञानी कौन है? जानें विदुर की नजर से
धृतराष्ट्र ने एक बार विदुर से पूछा कि ज्ञानी कौन है? इस प्रश्न का उत्तर देते हुए विदुर ने आदर पूर्वक कहा कि महाराज, जो व्यक्ति दुर्लभ वस्तु को पाने की इच्छा न रखते। नाशवान वस्तु के विषय में शोक नहीं करते और मुसीबत आने पर घबराते नहीं हैं। उसका पूरी क्षमता सामना करते हैं। ऐसे व्यक्ति ज्ञानी कहलाते हैं. इसके साथ ही वह व्यक्ति जो अपने कार्य को पूरे उत्साह से आरंभ करता है और बिना रूके उसे परिणाम तक पहुंचाता है। मन को नियंत्रित करके रखता है। ऐसा व्यक्ति भी ज्ञानी कहलाने का अधिकार रखता है।

सम्मान पाकर भी अहंकार न करे वो भी ज्ञानी है
विदुर ने इसके आगे महाराज धृतराष्ट्र को बताया कि जो व्यक्ति प्रशंसा और सम्मान पाकर भी अहंकार न करें और अपमान को सहन करने की क्षमता रखता है और समुद्र की गहराई की भांति गंभीरता हो ऐसे व्यक्ति भी ज्ञानी ही होते हैं।

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