वर्तमान समय की बात करें, तो भारत आज पूरे विश्व में सबसे अधिक युवा आबादी वाला देश है, तो जापान एशिया का सबसे खुशहाल देश है। दोनों आधुनिक देशों के बीच कई तरह की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक समानताओं के कारण जापान हाल के वर्षों में भारतीय युवाओं को काफी आकर्षित कर रहा है। यही कारण है कि चाहे नर्सिंग, कुकिंग या कृषि हो या फिर इंजीनियरिंग, आर्किटेक्ट या मैन्युफैक्चरिंग का क्षेत्र, हर जगह जापान में भारतीयों के लिए जाब के मौके लगातार सामने आ रहे हैं। इसके अलावा, क्योंकि जापान की आबादी बहुत कम होने के साथ उम्रदराज लोगों की संख्या ज्यादा है। यह भी एक बड़ा कारण है कि कुशल और गैर-कुशल दोनों तरह के कामगारों और पेशेवरों की जापान में काफी डिमांड देखी जा रही है।
आबादी कम जरूरत ज्यादा:
भारत की तुलना में जापान बहुत छोटा देश है। वहां की आबादी में युवाओं की संख्या बहुत कम है। जो आबादी है, वह उम्रदराज होने के कारण जापान के विभिन्न सेक्टर्स की जरूरतों को पूरा करने में सक्षम नहीं है। यही वजह है कि जापान का कोई भी क्षेत्र हो, वहां भारतीयों को प्लेसमेंट आसानी से मिल जाता है। वैसे तो जापान मुख्यत: एक तकनीकी देश है, इसलिए वहां टेक्निशियन, मैकेनिक, साफ्टवेयर इंजीनियर, मैकेनिकल इंजीनियर, इलेक्ट्रिकल इंजीनियर और आर्किटेक्ट जैसे प्रोफेशनल्स की ज्यादा डिमांड रहती है।
कोरोना के बाद अब वहां नर्सिंग केयर, इमारतों की साफ-सफाई और निर्माण, फूड प्रोसेसिंग, औद्योगिक मशीनरी निर्माण, पोत निर्माण तथा कृषि व मत्स्य पालन जैसे क्षेत्रों में भी प्रशिक्षित युवाओं की काफी जरूरत महसूस की जा रही है। अच्छी बात यह है कि जब भी जापान को मैनपावर की जरूरत पड़ती है, अच्छे आपसी रिश्तों के चलते वह सबसे पहले भारत की ओर ही देखता है। जापान में अपनी पहचान बनाने और तरक्की की राह पर बढ़ने के लिए यह अच्छा मौका है।
जापानी भाषा जानने वालों की बढ़ी मांग:
जापानी भाषा बोलने, पढ़ने और लिखने में कुशल युवाओं के लिए जापान में नौकरी के सबसे अधिक मौके हैं। इसलिए कि जापानियों की इंग्लिश अच्छी नहीं होती है। वे अपनी ही भाषा यानी जापानी में सारे कामकाज करना पसंद करते हैं। इसलिए वे अपने यहां उन्हीं कामगारों और प्रोफेशनल्स को रखना पसंद करते हैं, जिन्हें जापानी भाषा का ज्ञान होता है। यही वजह है कि पिछले पांच-सात वर्षों से जैपनीज सीखने का ट्रेंड तेजी से बढ़ा है।
जापानी भाषा सीखने में युवा ज्यादा दिलचस्पी लेते हैं। उनके द्वारा यह भाषा सीखने के पीछे मुख्य वजह यह है कि जापानी कंपनियों में प्लेसमेंट जल्दी मिल जाता है। दोनों देशों के बीच आपसी रिश्ते अच्छे होने से वीजा प्रोसेसिंग में भी दिक्कत नहीं आती है और जाब भी आसानी से मिल जाता है। यह भाषा सीखने का एक फायदा यह भी है कि आपके लिए मार्केट बहुत बड़ा हो जाता है। आप देश में काम कर रही जापानी कंपनियों के अलावा जापान जाकर भी काम कर सकते हैं।
भारतीयों को प्राथमिकता: जापानी भारतीयों को अपने यहां ज्यादा महत्व देते हैं। खानपान से लेकर तमाम धार्मिक और सांस्कृतिक रीति-रिवाज हमारे और उनके बीच एक जैसे हैं। जिस तरह से हमारे यहां देवी-देवताओं को पूजते हैं, उसी तरह से वहां भी देवी-देवताओं को पूजा जाता है। दरअसल, जापान के साथ हमारे यह जुड़ाव सदियों पुराना है। आज की तारीख में उनके साथ हमारे डिफेंस/ स्ट्रेटेजिक रिलेशन, इकोनामिक/कामर्शियल रिलेशन, इंवेस्टमेंट रिलेशन जैसे कई बाइलैटरल रिलेशंस हैं। इसके अलावा, जापान के साथ हमारी डिजिटल पार्टनरशिप भी है।
स्किल डेवलपमेंट जैसे कई महत्वाकांक्षी अभियान भी जापान के सहयोग से चल रहे हैं। यही वजह है कि बड़ी संख्या में भारतीय आइटी प्रोफेशनल्स और इंजीनियर्स भारतीय और जापानी फर्म्स में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। इसके अलावा, तमाम प्रोफेशनल्स मैनेजमेंट, फाइनेंस, एजुकेशन तथा रिसर्च जैसे क्षेत्रों में भी अपनी सेवाएं दे रहे हैं। विदेश मंत्रालय के एक आंकड़े के अनुसार, अभी करीब 38 हजार भारतीय जापान में रह रहे हैं।
तीन स्किल सीखने पर जोर: फिलहाल जो युवा जापान में जाकर अपना करियर बनाना चाहते हैं, उन्हें अपनी तीन स्किल लेकर वहां जाना चाहिए। एक तो आपको अपने क्षेत्र में कौशलयुक्त होना चाहिए। उदाहरण के लिए अगर आप शेफ हैं, तो आपको स्वादिष्ट खाना बनाने में महारत होनी चाहिए। उसी तरह आप जिस भी फील्ड में हैं, उस फील्ड की स्किल होनी चाहिए। दूसरी और तीसरी बात यह कि आपको जैपनीज और इंग्लिश दोनों भाषाएं आनी चाहिए। अगर जैपनीज और इंग्लिश के अलावा आप हिंदी भी जानते हैं, तो यह आपके लिए प्लस प्वाइंट होगा। इससे आपके लिए और ज्यादा अवसर बढ़ जाएंगे।
ऐसे तलाशें जाब्स:
जापान में अगर युवाओं को अपने लिए नौकरी ढूंढ़नी है, तो उन्हें सबसे पहले वहां की लैंग्वेज आनी चाहिए। क्योंकि वहां जो भी वैकेंसीज निकलती हैं, वे जापानी लैंग्वेज में होती हैं। जिस तरह से अपने देश में नौकरीडाटकाम जैसे जाब पोर्टल्स हैं, उसी तरह से जापान में भी बहुत से जाब पोर्टल्स और वेबसाइट हैं, जिन पर जाब ओपनिंग के बारे तमाम जानकारियां उपलब्ध होती हैं, जहां से आप संबंधित कंपनी में आवेदन कर सकते हैं। इसके अलावा, बहुत सी जाब एजेंसीज भी हैं, जो जापान में आने के लिए वीजा जैसी सुविधाएं भी खुद ही उपलब्ध कराती हैं। इसके अलावा, जिन संस्थान से जैपनीज जैसे लैंग्वेज आप सीखते हैं, वे भी प्लसेमेंट दिलाने में सहयोग करती हैं। चाहें तो गूगल से भी विभिन्न जापानी कंपनियों की वैकेंसी के बारे में पता कर सकते हैं। चीन को छोड़कर सभी देशों में सर्च इंजन गूगल की सेवाएं हैं।
आकर्षक पैकेज, सुख सुविधाएं और जाब सिक्युरिटी:
भारत की तुलना में जापान में सैलरी पैकेज और सुख-सुविधाएं कहीं ज्यादा हैं। जैपनीज जानने वालों को वहां अच्छे पैकेज आफर किये जाते हैं, ताकि लोग आकर्षित होकर काम करने के लिए उनके यहां आएं। जापान में आमतौर पर एग्रीमेंट बेसिस पर जाब मिलती हैं। इसलिए बीच में जाब छूटने का डर भी नहीं रहता है। लोग बड़े मजे से आनंद लेते हुए वहां काम करते हैं और अपनी मेहनत व ईमानदारी से तरक्की की सीढ़ियां चढ़ते जाते हैं।
जापानी भाषा के लिए प्रमुख संस्थान-
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, नई दिल्ली
www.jnu.ac.in
दिल्ली यूनिवर्सिटी, दिल्ली
http://du.ac.in
लैग्मा स्कूल आफ लैंग्वेजेज, नई दिल्ली
https://langmainternational.com
अकल जापानीज एकेडमी, नई दिल्ली
www.japan-academy.in
इन क्षेत्रों में ज्यादा अवसर
जापान में युवाओं के लिए तकनीकी क्षेत्रों के अलावा 14 से अधिक ऐसे सेक्टर्स हैं, जहां गैर-तकनीकी स्किल वाले युवा भी अपने लिए जाब तलाश सकते हैं। इनमें प्रमुख हैं:
- हाउसकीपिंग/ बिल्डिंग क्लीनिंग मैनेजमेंट
- नर्सिंग/नर्सिंग केयर
- इंडस्ट्रियल मशीनरी इंडस्ट्री
- फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री
- इलेक्ट्रिक और इलेक्ट्रानिक इंडस्ट्री
- कंस्ट्रक्शन इंडस्ट्री
- आटोमोबाइल रिपेयर एंड मेंटिनेंस
- एविएशन इंडस्ट्री
- हास्पिटैलिटी सेक्टर
- शिपबिल्डिंग एंड शिप मशीनरी इंडस्ट्री
- फिशरीज एंड एग्रीकल्चर
- फूड एंड बेवरेज और फूड सर्विसेज सेक्टर
- मशीन पार्ट्स एंड टूलिंग इंडस्ट्रीज
अनेक रूपों में अवसर
जैपनीज सीखने वाले युवाओं के लिए इनदिनों अनेक रूपों में करियर उपलब्ध हैं। यह भाषा सीखकर कंपनियों में अपनी सेवाएं देने के अलावा आप विदेशी दूतावास, कारपोरेट कंपनीज तथा सरकारी विभागों में भाषा के जानकार बन सकते हैं। मीडिया इंडस्ट्री के किसी भी बड़े मीडिया हाउस में फारेन लैंग्वेज ट्रांसलेटर्स व फारेन कारेस्पांडेंट के रूप में अपने लिए करियर तलाश सकते हैं या फिर टूरिज्म-हास्पिटैलिटी सेक्टर में गाइड, एंटरप्रेटर के रूप में करियर बना सकते हैं। जैपनीज सिखाने वाले स्कूल-कालेज और इंस्टीट्यूट में लैंग्वेज टीचर बन सकते हैं।