यूपी के तीन जिलों में पांव पसार चुका है ये घातक वायरस, जानें- लक्ष्ण, बचाव व इलाज
पब्लिक न्यूज डेस्क। बीते साल तक दक्षिण भारत में सिमटा जीका वायरस अब मध्य तथा उत्तर भारत को डरा रहा है। अक्टूबर के दूसरे पखवाड़े में उत्तर प्रदेश के कानपुर में रहने वाले 57 वर्षीय एयरफोर्स अधिकारी में जीका संक्रमण की पुष्टि हुई। इसके बाद से अब तक कई संक्रमित मिल चुके हैं। इस वायरस ने अब करीबी जिले कन्नौज में भी दस्तक दे दी है। खबरें गुजरात और राजस्थान से भी हैं। जीका संक्रमण के वाहक डेंगू और चिकनगुनिया फैलाने वाले मच्छर ही हैं। जीका वायरस के संवाहक एडीज एजिप्टी और एडीज एल्बोपिक्टस मच्छर होते हैं, जिन्हें टाइगर मच्छर भी कहा जाता है। एडीज मच्छर ही डेंगू, चिकनगुनिया व यलो फीवर के वायरस के संक्रमण फैलाने की वजह भी बनता है।
- ब्लड ट्रांसफ्यूजन (खून चढ़ाने) से
- जीका संक्रमित मच्छर के काटने से
- संक्रमित साथी से शारीरिक संबंध से
- संक्रमित गर्भवती से गर्भस्थ शिशु को
ऐसे लगाते हैं पता: अगर कोई व्यक्ति जीका संक्रमणग्रस्त क्षेत्र में आया-गया है और आने के 7-14 दिनों के बीच बुखार, शरीर में लाल दाने आएं, बुखार बना रहे। मांसपेशियों व जोड़ों में दर्द, आंखों में लाली व कीचड़ तथा सिरदर्द बना रहे तो चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए। इसकी जांच आरटीपीसीआर, ब्लड सैंपल, यूरिन, मस्तिष्क जल(सीएसएफ), गर्भ जल (एम्योटिक फ्लूड) आदि से होती है।
- मच्छरदानी का इस्तेमाल करें
- हर दूसरे दिन फागिंग कराएं
- जिससे मच्छर खत्म हो जाएं
- कहीं भी खुले में पानी जमा न होने दें
- तालाबों में गंबूसिया मछली डालें, जो मच्छरों के लार्वा खाती है
- लेमन ग्रास का तेल व यूकेलिप्टस का तेल लगाने से मच्छर भागते हैं
- जहां पानी जमा हो, वहां जला हुआ मोबिल आयल डालें। इससे मच्छरों का प्रजनन और लार्वा की बढ़त रुकेगी
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