वर्ल्ड रेड क्रॉस डे: कोरोना महामारी के दौर में कैसे रखें थैलेसीमिया के मरीजों का ख्याल

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वर्ल्ड रेड क्रॉस डे: कोरोना महामारी के दौर में कैसे रखें थैलेसीमिया के मरीजों का ख्याल

वर्ल्ड रेड क्रॉस डे: कोरोना महामारी के दौर में कैसे रखें थैलेसीमिया के मरीजों का ख्याल


नई दिल्ली। आधुनिक युग में जहां हर क्षेत्र में तेजी से बदलाव हो रहा है। वहां अभी भी कुछ बीमारियों को लेकर जागरुकता की कमी है। ऐसी ही एक बीमारी है थैलेसीमिया। दुनियाभर में हर साल 8 मई को में वर्ल्ड थैलेसीमिया डे (Thalassemia Day) मनाया जाता है। थैलेसीमिया बच्चों को उनके माता-पिता से मिलने वाला आनुवांशिक रक्त रोग है, इस रोग की पहचान बच्चे में 3 महीने बाद ही हो पाती है।

 

क्या है थैलेसीमिया
थैलेसीमिया नामक बीमारी आनुवांशिक होती है। इस बीमारी का मुख्य कारण रक्तदोष होता है। यह बीमारी बच्चों को अधिकतर ग्रसित करती है तथा उचित समय पर उपचार न होने पर बच्चे की मृत्यु तक हो सकती है। सामान्य रूप से शरीर में लाल रक्त कणों की उम्र करीब 120 दिनों की होती है, परंतु थैलेसीमिया के कारण इनकी उम्र सिमटकर मात्र 20 दिनों की हो जाती है। इसका सीधा प्रभाव शरीर में स्थित हीमोग्लोबीन पर पड़ता है। हीमोग्लोबीन की मात्रा कम हो जाने से शरीर कमजोर हो जाता है तथा इस वजह से हमेशा किसी न किसी बीमारी से ग्रसित रहने लगता है।

 

कोरोना महामारी के दौरान थैलेसीमिया के मरीजों के लिए चुनौतियां 
थैलेसीमिया एक प्रकार का अनुवांशिक रक्त विकार है। कोविड महामारी को देखते हुए निश्चित रूप से थैलेसीमिया के मरीजों का इलाज बहुत हद तक बाधित हुआ है। डॉक्टर मोहित सक्सेना (कंसल्टेंट, मेडिकल ऑन्कोलॉजी एंड हेमेटोलॉजी, नारायणा अस्पताल गुरुग्राम) के अनुसार सबसे अहम पहलू यह है कि रक्तदान के ज़रिए बहुत से थैलेसीमिया के मरीज़ों का इलाज होता है, लेकिन कोविड महामारी के कारण बेशक ब्लड डोनेशन कैंप नहीं लगाए जा सकते क्योंकि इनसे एक जगह बहुत से लोगों के एकत्रित होने और कोविड संक्रमण के फैलने का जोखिम है, इसलिए हमें अस्पताल या अन्य संस्थानों के ज़रिये खुद जाकर रक्तदान करने की प्रक्रिया को प्रोत्साहित करना चाहिए। साथ ही क्योंकि थैलेसीमिया के मरीज़ों की इम्युनिटी कम होती है इसलिए उन्हें कोविड संक्रमण की गंभीरता का अधिक ख़तरा है इसलिए उन्हें कोविड से जुड़ें सभी नियमों का पालन सख्ती से करना चाहिए। साथ ही यदि किसी प्रकार के कोविड के लक्षण नज़र आए, तो तुरंत डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए। 

 

शादी से पहले कपल्स को करानी चाहिए जेनेटिक स्क्रीनिंग
डॉक्टर सक्सेना के मुताबिक इस दौर में हमें सुनिश्चित करना होगा कि थैलेसीमिया के मरीजों के चेकअप समय-समय पर होते रहें, किसी प्रकार की बाधा न आए क्योंकि यह उनकी इलाज प्रक्रिया के सबसे अहम हिस्से होते हैं। प्रत्येक थैलेसीमिया के मरीज को सामान्य जीवन जीने का पूरा  अधिकार है इसलिए उनके साथ सभी को सहयोग करना चाहिए। इसके अलावा भावी दम्पति शादी से पहले अपनी अपनी जेनेटिक स्क्रीनिंग करवाएं, तो यह अधिक उचित है क्योंकि इससे होने वाले शिशु में थैलेसीमिया होने की आशंका का पता लगाया जा सकता है, और निर्णय लिया जा सकता है।

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