कानपुर में मलबे से निकली तिजोरी, खजाने की अफवाह पर जुटी भीड़

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कानपुर में मलबे से निकली तिजोरी, खजाने की अफवाह पर जुटी भीड़

कानपुर में मलबे से निकली तिजोरी, खजाने की अफवाह पर जुटी भीड़


कानपुर।  जिले के मंधना में जीटी रोड चौड़ीकरण के लिए चल रही खुदाई में एक तिजोरी निकल आई। खजाना निकलने की खबर फैलने से भीड़ इकट्ठा हो गई। पुलिस ने भीड़ को नियंत्रित कर तिजोरी को कब्जे में लेकर अफसरों को सूचना दी। तिजोरी पर मकान मालिक व किराएदार दोनों दावा कर रहे हैं। चाबी किसी के पास नहीं है। नायब तहसीलदार भी मौके पर पहुंचे। कहा कि डीएम के आदेश पर अधिकारियों के सामने तिजोरी खोली जाएगी। 

मंधना में कई दुकानें गिराई गई हैं। दुकानदार खुद खड़े होकर जेसीबी से मलबा हटवा रहे हैं। दुकानदार दिनेश त्रिवेदी भी मंगलवार शाम लगभग 6 बजे मलबा हटवा रहे थे। तभी एक पुरानी तिजोरी नजर आई। जेसीबी चालक व मजदूरों ने यह बात लोगों को बताई तो कुछ ही देर में दुकान के नीचे खजाना निकलने की खबर फैल गई। देखते ही बड़ी संख्या में लोग इकट्ठा हो गए। पुलिस ने भीड़ को समझा कर हटाने की कोशिश की। भीड़ के टस के मस न होने पर लाठी भी पटकनी पड़ी। इसके बाद हल्का बल प्रयोग कर दो कुंतल वजनी तिजोरी को जेसीबी से पुलिस चौकी लाया गया। भीड़ ने पुलिस चौकी भी घेर ली तो समझा कर कंट्रोल किया। 

सबके अपने-अपने दावे
 
बहलोलपुर निवासी दुकान मालिक महेश मिश्रा के बेटे अरुण कुमार व किराएदार दिनेश में तिजोरी के स्वामित्व को लेकर होड़ मच गई। अरुण ने तर्क दिया कि यह तिजोरी उनके पूर्वजों की है। इस जगह पर पहले पुश्तैनी बरामदा था। तिजोरी जमीन के अंदर से निकली है। इसकी किसी को जानकारी नहीं थी। वहीं, दिनेश ने दावा किया कि तिजोरी की जानकारी उन्हें पहले से थी।  उसे निकालने का प्रयास किया गया था। हालांकि, पुलिस के मांगने पर दोनों पक्ष में से कोई चाबी न दे सका। नायब तहसीलदार विराग करवरिया ने तिजोरी को सील कर बिठूर थाने में रखवाया। लोहे की तिजोरी में लॉकर के साथ हत्था लगा है। दो फुट लंबी-चौड़ी तिजोरी की ऊंचाई करीब ढाई फुट है। डीएम  को जानकारी दे दी गई है। बुधवार को तिजोरी खोलने का फैसला किया जाएगा।

1974 से किराए पर दुकान

1974 में महेश त्रिवेदी ने राम गोपाल मिश्रा से दुकान किराए पर ली थी। बाद में उनके भाई सुरेश दुकान चलाने लगे। बंटवारा हुआ तो यह दुकान सुरेश के भाई दिनेश के हिस्से में आ गई। राम गोपाल मिश्रा के बेटे महेश मिश्रा 800 रुपए प्रति माह किराया ले रहे थे। यह दुकान चार दिन पहले तोड़ी गई थी। बता दें कि दिनेश त्रिवेदी के पिता रामगोपाल मिश्रा के बड़े भाई के साले थे। इस तरह दोनों परिवारों में रिश्तेदारी भी है। 

विराग करवरिया, नायब तहसीलदार का कहना है कि एडीएम फाइनेंस और अधिकारियों को सूचना दी गई है। आदेश पर तिजोरी खुलेगी। तिजोरी पुरानी है। सील कर बिठूर थाने में रखवा दी गई है। अमित मिश्रा, एसओ, बिठूर बताते हैं कि दोनों पक्ष अपने दावे कर रहे हैं लेकिन पुख्ता किसी का नहीं है। चाबी कोई नहीं दे सका। उच्च अधिकारियों को सूचना दी गई है। आगे का निर्णय वही लेंगे। 

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