राकेश टिकैत भाकियू से बर्खास्त

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राकेश टिकैत भाकियू से बर्खास्त

राकेश टिकैत भाकियू से बर्खास्त


लखनऊ।  नए कृषि कानून के खिलाफ सरकार से मोर्चा लेने वाले राकेश टिकैत को भारतीय किसान यूनियन से बर्खास्त कर दिया गया है। वहीं, नरेश टिकैत को राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से हटा दिया गया। फतेहपुर के राजेश सिंह चौहान भारतीय किसान यूनियन के नए अध्यक्ष बनाए गए।रविवार यानी आज बाबा महेंद्र सिंह टिकैत की 11वीं पुण्यतिथि है। इस मौके पर लखनऊ के गन्ना शोध संस्थान में सुबह 9 बजे से कार्यक्रम शुरू हुआ। इसमें मूल भारतीय किसान यूनियन को बदलकर भारतीय किसान यूनियन (अराजनैतिक) बना दिया गया। कार्यक्रम का नाम - 'किसान आंदोलन की दशा और दिशा' रखा गया था।

यह फैसला भारतीय किसान यूनियन के संस्थापक दिवंगत चौधरी महेन्द्र सिंह टिकैत की पुण्यतिथि के अवसर पर 15 मई को लखनऊ के गन्ना किसान संस्थान में संगठन के हुई नेताओं की बैठक लिया गया। संगठन के नेताओं का आरोप है कि भारतीय किसान यूनियन  एक गैर-राजनीतिक संगठन है, लेकिन राकेश टिकैत ने अपने बयानों और गतिविधियों से इसे राजनीतिक रूप से दे दिया।

रविवार को राजधानी लखनऊ स्थित गन्ना किसान संस्थान में भाकियू नेताओं की एक बैठक हुई, जिसमें टिकैत परिवार के खिलाफ किसानों में उभरी नाराजगी के बाद रारेश टिकैत को बर्खास्त कर दिया गया। वहीं, नरेश टिकैत को भी भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय पद से मुक्त कर दिया गया। किसान नेताओं में टिकैत बंधुओ के प्रति नाराजगी दिखाई दी। 

किसान नेताओं की नाराजगी को समझते हुए राकेश टिकैत उन्हें मनाने पहुँचे थे। नाराज किसान नेताओं की अगुवाई कर रहे भारतीय किसान यूनियन  उपाध्यक्ष हरिनाम सिंह वर्मा  के आवास पर राकेश टिकैत संगठन के असंतुष्ट नेताओं को समझाने की कोशिश करते रहे, लेकिन इसमें वे नाकाम रहे। इसके बाद वे वापस मुज़फ्फरनगर अपने घर लौट गए। 

राकेश टिकैत देश में उस समय छा गए थे, जब उन्होंने गाजीपुर बॉर्डर पर रोते हुए कहा था कि बीजेपी सरकार उनकी हत्या करवाना चाहती है। उनके रोने का ये असर हुआ कि आंदोलन और बड़े स्तर तक पहुंच गया। यही नहीं इस आंदोलन में पुरुषों के साथ महिलाओं ने भी अहम भूमिका निभाई।

भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता रहते हुए राकेश टिकैत ने पूरे देश में बीजेपी सरकार के खिलाफ जनसभाएं कीं और कृषि कानून को किसानों के लिए काला कानून बताया था। राकेश टिकैत ने बंगाल, यूपी, हरियाणा और महाराष्ट्र समेत पूरे देश में जनसभा करके कृषि कानून को किसानों के खिलाफ बताया था।

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