पीएम मोदी के नेपाल दौरे पर ऐतिहासिक स्वागत की तैयारी, भारत से नेपाल को बड़े सौगात की उम्मीद

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पीएम मोदी के नेपाल दौरे पर ऐतिहासिक स्वागत की तैयारी, भारत से नेपाल को बड़े सौगात की उम्मीद

पीएम मोदी के नेपाल दौरे पर ऐतिहासिक स्वागत की तैयारी, भारत से नेपाल को बड़े सौगात की उम्मीद


संवाददाता यशोदा श्रीवास्तव

नेपाल : नेपाल के पीएम शेर बहादुर देउबा के भारत दौरे के कुछ दिन बाद ही भारत के प्रधानमंत्री मोदी के नेपाल आगमन को लेकर नेपाल में उत्साह का माहौल देखा जा रहा है। मोदी का 16 मई को भगवान बुद्ध की जन्मस्थली लुंबिनी में आना प्रस्तावित है। नेपाल का यह क्षेत्र भारत सीमा से बिल्कुल करीब है। मोदी के आगमन को लेकर लुंबिनी को दुल्हन की तरह सजाया जा रहा है। उस दिन बुद्ध पूर्णिमा भी है। सारी तैयारी नेपाल के पर्यटन और गृह मंत्रालय की देख देख में चल रहा है। यहां चार हेलीपैड बनाए गए हैं। सुरक्षा की व्यवस्था की तैयारी ऐसी है कि परिंदा भी पर न मार सके। सुरक्षा की जिम्मेदारी नेपाल की ओर से नेपाल सेना के हवाले होगी। 
सूत्रों के हवाले से खबर है कि प्रधानमंत्री मोदी दिल्ली से सीधे लुंबिनी आएंगे।चूंकि बुद्ध की धरती पर भारतीय पीएम का आगमन बुद्ध पूर्णिमा के दिन हो रहा है तो जाहिर है मोदी के संबोधन में बुद्ध के पंचशील के सिद्धांत की व्याख्या होगी ही होगी, शांति के दुश्मनों को चेतावनी भी होगी। नेपाल के हिंदू राष्ट्र के इतिहास को याद दिलाते हुए मोदी अपने अंदाज में नेपाल के पुनः हिंदू राष्ट्र की आवश्यकता समझाने की कोशिश भी करेंगे। चर्चा है कि लुंबिनी में किसी बड़ी परियोजना की आधारशिला रखने के साथ मोदी वुद्ध की धरती से नेपाल को शिक्षा, स्वास्थ्य और पर्यटन की बड़ी सौगात की घोषणा कर सकते हैं। 

मोदी के नेपाल दौरे से चीन चकित

भारतीय पीएम मोदी के नेपाल आगमन की खबर से चीन का चकित होना स्वाभाविक है। उसे अब नेपाल की धरती से अपना पांव उखड़ता हुआ महसूस होने लगा है। नेपाल में विकास परियोजनाओं के बहाने चीन नेपाल को अपने पाले में कर उसकी धरती को भारत के खिलाफ बड़ा प्लेटफार्म बनाने की फिराक में  रहता है।संयोग से नेपाल में पहले की चीन समर्थक सरकारें उसके इस साजिश में सहयोग की भूमिका में रही है। अब स्थितियां बदल चुकी है। नेपाल में नेपाली कांग्रेस की सरकार है जो स्वाभाविक रूप से भारत समर्थक पार्टी है। यह स्व.वीपी कोइराला के वक्त से है। राजशाही से लेकर लंबे समय तक सत्ता में रही नेपाली कांग्रेस सरकार के पीएम रहे स्व.गिरिजा प्रसाद कोइराला तो खुलकर भारत के साथ खड़े रहते थे। नेपाल के तमाम सारे नेताओं का मानना है कि तबतक भारत और नेपाल के बीच कोई समस्या भी नहीं थी। हालांकि नेपाल को लेकर भारत और चीन में प्रतिस्पर्धा तब भी थी लेकिन चीन हावी नहीं था।कहना न होगा कि पिछले कुछ सालों में नेपाल में चीन की दखलंदाजी काफी बढ़ी है।

खास बात यह है कि पांचवीं बार नेपाल के पीएम बने देउबा के साथ पांच दलों का गठबंधन है जिसमें कभी भारत की अपेक्षा चीन को तरजीह देने वाले माओवादी नेता प्रचंड और चीन समर्थक कम्युनिस्ट पार्टी एमाले के वरिष्ठ नेता माधव कुमार नेपाल भी समाजवादी कम्युनिस्ट पार्टी बनाकर देउबा के साथ हैं। कभी चीन समर्थक रहे इन दोनों कम्युनिस्ट नेताओं में गजब का बदलाव आया है और ये अब भले ही भारत का खुलकर एक पक्षीय समर्थन न करते हों लेकिन नेपाल में चीन के एक तरफा प्रभाव के पक्ष में कत्तई नहीं हैं। दोनों कम्युनिस्ट नेता इस बात को खुले तौर पर स्वीकार करते हैं कि भारत ही हमारा विश्वसनीय पड़ोसी राष्ट्र है जो हमें सदैव छोटे भाई जैसा तरजीह देता। भारत के लिए खुशी की बात है की पीएम मोदी के नेपाल आगमन पर दोनों कम्युनिस्ट नेताओं ने खुले दिल से स्वागत किया है और भरोसा जताया है कि नेपाल और भारत के बीच के संबंधों में और मजबूती आएगी,एक दूसरे के प्रति विश्वास बढ़ेगा।

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