विकास दुबे केस में ट्रेनी आईपीएस को क्लीनचिट देने की तैयारी

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विकास दुबे केस में ट्रेनी आईपीएस को क्लीनचिट देने की तैयारी

विकास दुबे केस में ट्रेनी आईपीएस को क्लीनचिट देने की तैयारी


कानपुर। विकास दुबे केस में असलहों के सत्यापन की कार्रवाई ठीक से न कराने के मामले में एक ट्रेनी आईपीएस को क्लीनचिट देने की तैयारी है। अब तक की जांच में पता चला है कि असलहों के सत्यापन के आदेश शासन से आने के ठीक बाद ही ट्रेनी आईपीएस यहां से ट्रेनिंग पर चले गए थे। उनकी जगह दूसरे अधिकारी को इसका कार्यभार सौंपा गया था। इसके साथ यह भी सामने आया है कि एसआईटी ने भी जांच के दौरान तथ्यों को सत्यापित करने में कहीं-कहीं चूक कर दी है। 

एसआईटी ने बीते सप्ताह आईजी रेंज मोहित अग्रवाल को एक रिपोर्ट भेजी थी। इसमें कहा गया है कि शस्त्र लाइसेंस के सत्यापन को लेकर 2019 में एक शासनादेश दिया गया था, जिसका ठीक से पालन नहीं किया गया। तब अपराधियों के लाइसेंस भी सत्यापित कर दिए गए। इसमें पुलिस प्रशासन के 11 अफसरों को दोषी पाया गया। इनमें पूर्व डीआईजी अनंत देव तिवारी, आईपीएस अधिकारी बीबीजीटीएस मूर्ति भी शामिल हैं। उस दौरान बीबीजीटीएस मूर्ति ट्रेनी आईपीएस थे और सीओ लाइन का कार्यभार देख रहे थे। जब दस्तावेज खंगाले गए तो पता चला कि चौबेपुर के असलहा लाइसेंस को सत्यापित करने की जिम्मेदारी उन्हीं को सौंपी गई थी मगर जब तक आदेश आया, उससे दो सप्ताह पहले मूर्ति ट्रेनिंग पर जा चुके थे। उनकी जगह तत्कालीन सीओ अनवरगंज सैफुद्दीन बेग को सीओ लाइन का चार्ज सौंपा गया था। इस तथ्य को लेकर अधिकारियों ने शासन को एक पत्र भेज दिया है। इसके बाद सैफुउद्दीन बेग पर कार्रवाई होना लगभग तय हो गया है। 

एक भी लाइसेंस नहीं हुआ सत्यापित 

25 नवंबर 2019 को शासन ने शस्त्र लाइसेंसों को सत्यापन करने संबंधी निर्देश जारी किया था। तत्कालीन एसएसपी ने इसके लिए एक टीम गठित कर दी थी। इसका प्रभारी तत्कालीन एसपी क्राइम राजेश यादव, सीओ लाइन आईपीएस बीबीजीटीएस मूर्ति, आरआई-2 जटाशंकर पाठक, हेड मोहर्रिर सतीश शामिल थे। सभी थानों के शस्त्र लाइसेंसों के सत्यापन का रोस्टर तैयार हुआ। 1  फरवरी 2020 को बीबीजीटीएस मूर्ति ट्रेनिंग पर चले गए और चार्ज सीओ सैफुद्दीन बेग को मिला। 12 फरवरी 2020 को चौबेपुर थाना क्षेत्र के सभी लाइसेंसों का सत्यापन होना था जो नहीं हुआ। चूंकि जांच टीम में बीबीजीटीएस मूर्ति का नाम था, इसलिए एसआईटी ने उनको दोषी माना है।  उस वक्त 42 हजार शस्त्र लाइसेंसों में से सिर्फ 613 का ही सत्यापन किया गया था।

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