एलओसी पर पाकिस्तानी गोलवारी से त्रस्त सीमावर्ती ग्रामीण

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एलओसी पर पाकिस्तानी गोलवारी से त्रस्त सीमावर्ती ग्रामीण

एलओसी पर पाकिस्तानी गोलवारी से त्रस्त सीमावर्ती ग्रामीण


जम्मू - एलओसी पर सीज़फायर के बावजूद पाकिस्तान की ओर से लगातार फायरिंग  ने सीमा वासियों को अपना घर छोड़कर बंकरों में रहने को मजबूर कर दिया है। हालत यह है कि सीमा पर रहने वाले निवासियों को अपनी जान बचाने के लिए बंकर चाहिए, ना कि  सड़क, रोज़गार, बिजली, पानी यह सब चाहिए। क्योंकि जान है तो जहान है।  सीमावर्ती लोगों का कहना है कि यदि  सरकार बंकर उपलब्ध नहीं करवा पाती है तो यहाँ के निवासी अपने खर्चे पर बंकरों का निर्माण करवायेंगे । गोलाबारी से होने वाली लगातार मौतों के चलते अधिक से अधिक बंकरों की मांग भी बढ़ती जा रही है।

पाकिस्तान से लगती हुई 814 किमी लंबी एलओसी से सटे गांवों में रहने वाले लाखों परिवारों को भोजन, सड़क, बिजली और पानी से अधिक जरूरत उन भूमिगत बंकरों की है, जिनमें छुपकर वे उस समय अपनी ज़िन्दगी बचाना चाहते हैं। जब भी सीमा पर तनाव बढ़ता है तो पाकिस्तानी सैनिक नागरिक ठिकानों को निशाना बना गोलों की बरसात करते हैं।

उड़ी सेक्टर में गत शुक्रवार को पाकिस्तानी सेना द्वारा दागे गए गोलों की गूंज शांत होते ही स्थानीय नागरिकों की सुरक्षा के लिए सामुदायिक बंकरों का निर्माण कार्य तेज हो गया है। प्रशासन ने उड़ी में 250 निजी बंकरों का एक प्रस्ताव भी केंद्रीय गृह मंत्रालय को भेजा है। यह बंकर गोलाबारी के समय लोगों की जान बचाने के लिए एक सुरक्षित ठिकाने के रूप में काम आएंगे। अगले माह तक 38 बंकर लोगों को सौंपे जाएंगे। इसके साथ ही उड़ी सेक्टर में ग्रामीणों के लिए बंकरों की तादाद भी 58 हो जाएगी।

वर्ष  1999 में जब से कारगिल युद्ध हुआ उसके बाद से तो भूमिगत बंकर सीमांत नागरिकों के जीवन का अभिन्न अंग बन चुके हैं। दरअसल पाक सेना की ओर से गोलाबारी के बाद एलओसी के इलाकों में घर छोड़ने के लिए मजबूर होने वाले लोगों ने अब सरकार से अपने घरों में  व्यक्तिगत बंकर बनाए जाने की मांग की है। पाकिस्तान की तरफ से की जाने वाली भारी गोलाबारी की वजह से एलओसी के गांवों से लोगों का पलायन अब आम बात हो गई है।

अधिकारियों का कहना था कि पाक सैनिक कभी भी सीज़फायर तोड़ देते  हैं, इसलिए हमने ग्रामीणों की किसी भी आपात स्थिति में मदद की एक कार्य योजना तैयार की है। इसके अलावा एलओसी से सटे हुए गावों  में सामुदायिक बंकरों का निर्माण तेज किया गया है। जिले में हमारे पास पहले ही 20 सामुदायिक बंकर हैं। ग्रामवासियों का कहना है कि सरकार को सीमा पर बसे प्रत्येक घर में बंकर बनाना चाहिए। यह एलओसी पर रहने वाले लोगों की सबसे अहम मांग है। सीमा शरणार्थी समन्वय समिति से जुड़े कार्यकर्ताओं का कहना है कि कई बार केंद्र सरकार को अवगत कराया है कि हमें भोजन से ज्यादा बंकर की जरूरत है। यह हमारे और हमारे परिवारों के लिए बुलेट प्रूफ जैकेट की तरह है। हालांकि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 44 नए बंकरों की मंज़ूरी दी है।

 अधिकारियों का कहना था कि बारामूला  में अगले माह बंकर पूरी तरह से तैयार कर जनता को सौंप दिए जाएंगे। छह अन्य बंकरों के लिए भी निविदाएं जारी की गई हैं, लेकिन इनमें ठेकेदारों ने कोई रुचि नहीं ली है। यह सभी बंकर ऊंचे पहाड़ी इलाकों में बनाए जा रहे हैं। इन इलाकों में सड़क भी नहीं है। निर्माण सामग्री को पहुंचाना बहुत मुश्किल और महंगा है। हमने इन सभी दिक्कतों का संज्ञान लेते हुए उनके समाधान के लिए संबधित प्रशासन को आग्रह किया है। हालाँकि इस महीने की 25 तारीख को भारत-पाक सीमा व एलओसी पर लागू सीजफायर 17 साल पूरे करने जा रहा है पर पाकिस्तान द्वारा बार - बार सीजफायर तोड़ने से  सीमाओं पर तनाव बना रहता है।

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