नॉट जस्ट ए नाइटवाचमैन : पूर्व सीओए प्रमुख विनोद राय ने कोहली-कुंबले विवाद पर क्या लिखा 

  1. Home
  2. खेल

नॉट जस्ट ए नाइटवाचमैन : पूर्व सीओए प्रमुख विनोद राय ने कोहली-कुंबले विवाद पर क्या लिखा 

नॉट जस्ट ए नाइटवाचमैन : पूर्व सीओए प्रमुख विनोद राय ने कोहली-कुंबले विवाद पर क्या लिखा 


पब्लिक न्यूज़ डेस्क 

प्रशासकों की समिति (सीओए) के प्रमुख रहे विनोद राय के अनुसार अनिल कुंबले को लगता था कि उनके साथ 'अनुचित व्यवहार' किया गया और भारतीय टीम के मुख्य कोच के पद से इस्तीफा देने के लिए बाध्य किया गया लेकिन तत्कालीन कप्तान विराट कोहली का मानना था कि खिलाड़ी अनुशासन लागू करने की उनकी 'डराने' वाली शैली से खुश नहीं थे। राय ने अपनी हाल में प्रकाशित किताब 'नॉट जस्ट ए नाइटवाचमैन: माइ इनिंग्स विद बीसीसीआई' में अपने 33 महीने के कार्यकाल के विभिन्न पहलुओं का जिक्र किया है।

सबसे बड़ा मुद्दा और संभवत सबसे विवादास्पद मामला उस समय हुआ जब कोहली ने कुंबले के साथ मतभेद की शिकायत की जिन्होंने 2017 में चैंपियन्स ट्रॉफी के बाद सार्वजनिक रूप से इस्तीफे की घोषणा की। कुंबले को 2016 में एक साल का अनुबंध दिया गया था।

राय ने अपनी किताब में लिखा, ''कप्तान और टीम प्रबंधन के साथ मेरी बातचीत में यह पता चला कि कुंबले काफी अधिक अनुशासन लागू करते हैं और इसलिए टीम के सदस्य उनसे काफी अधिक खुश नहीं थे।''

उन्होंने लिखा, ''मैंने इस मुद्दे पर विराट कोहली के साथ बात की और उन्होंने कहा कि टीम के युवा सदस्य उनके साथ काम करने के उनके तरीके से डरते थे।''

राय ने खुलासा किया कि सचिन तेंदुलकर, सौरव गांगुली और वीवीएस लक्ष्मण की क्रिकेट सलाहकार समिति (सीएसी) ने कुंबले का अनुबंध बढ़ाने की सिफारिश की थी।

उन्होंने कहा, ''इसके बाद लंदन में सीएसी की बैठक हुई और इस मुद्दे को सलुझाने के लिए दोनों के साथ अलग अलग बात की गई। तीन दिन तक बातचीत के बाद उन्होंने मुख्य कोच के रूप में कुंबले की पुन: नियुक्ति की सिफारिश करने का फैसला किया।''

हालांकि बाद में जो हुआ उससे जाहिर था कि कोहली के नजरिए को अधिक सम्मान दिया गया था और इसलिए कुंबले की स्थिति अस्थिर हो गई थी।

राय ने लिखा, ''कुंबले के ब्रिटेन से लौटने के बाद हमने उनके साथ लंबी बातचीत की। जिस तरह पूरा प्रकरण हुआ उससे वह स्पष्ट रूप से निराश थे। उन्हें लगा कि उनके साथ गलत व्यवहार किया गया है और एक कप्तान या टीम को इतना महत्व नहीं दिया जाना चाहिए।''

उन्होंने कहा, ''कोच का कर्तव्य था कि वह टीम में अनुशासन और पेशेवरपन लाए और एक वरिष्ठ के रूप में, खिलाड़ियों को उनके विचारों का सम्मान करना चाहिए था।''

राय ने यह भी लिखा कि कुंबले ने महसूस किया कि प्रोटोकॉल और प्रक्रिया का पालन करने पर अधिक भरोसा किया गया और उनके मार्गदर्शन में टीम ने कैसा प्रदर्शन किया, इसे कम महत्व दिया गया। उन्होंने कहा ''वह निराश था कि हमने प्रक्रिया का पालन करने को इतना महत्व दिया था और पिछले वर्ष में टीम के प्रदर्शन को देखते हुए, वह कार्यकाल में विस्तार का हकदार था।''

राय ने कहा कि उन्होंने कुंबले को समझाया था कि उनके कार्यकाल को विस्तार क्यों नहीं मिला।    उन्होंने लिखा, ''मैंने उन्हें समझाया कि इस तथ्य पर विचार करते हुए कि 2016 में उनके पहले के चयन में भी एक प्रक्रिया का पालन किया गया था और उनके एक साल के अनुबंध में कार्यकाल के विस्तार का कोई नियम नहीं था, हम उनकी पुन: नियुक्ति के लिए भी प्रक्रिया का पालन करने के लिए बाध्य थे और ठीक यही किया गया।''

राय ने हालांकि कोहली और कुंबले दोनों की ओर से इस मुद्दे पर गरिमापूर्ण चुप्पी बनाए रखना परिपक्व और विवेकपूर्ण पाया, नहीं तो यह विवाद जारी रहता।

दोस्तों देश दुनिया की और खबरों को तेजी से जानने के लिए बनें रहें पब्लिक न्यूज़ टी वी के साथ। हमें फेसबुक पर फॉलों करने के लिए @PublicNewsTV और ट्विटर पर फॉलो करने के लिए @PublicNewsTV पर क्लिक करें।