ताइवान से दक्षिण कोरिया के लिए रवाना हुईं नैंसी पेलोसी, चीन हुआ आगबबूला

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ताइवान से दक्षिण कोरिया के लिए रवाना हुईं नैंसी पेलोसी, चीन हुआ आगबबूला

ताइवान से दक्षिण कोरिया के लिए रवाना हुईं नैंसी पेलोसी, चीन हुआ आगबबूला


पब्लिक न्यूज़ डेस्क। ताइवान यात्रा समाप्त करने के बाद अमेरिकी संसद की स्पीकर नैंसी पेलोसी दक्षिण कोरिया के लिए रवाना हो गई हैं। बता दें कि पेलोसी मंगलवार देर रात ताइवान पहुंची थीं। पेलोसी के पहुंचते ही चीन आगबबूला हो गया और ताइवान पर कई प्रतिबंध लगा दिए। इतना ही नहीं चीनी सेना ने  21 सैन्य विमानों से ताइवान के दक्षिण-पश्चिमी हिस्से में उड़ान भरकर अपनी ताकत दिखाई।

नैंसी पेलोसी दक्षिण कोरिया के लिए रवाना

ताइवान की यात्रा समाप्त करने के बाद अमेरिकी संसद की स्पीकर नैंसी पेलोसी दक्षिण कोरिया के लिए रवाना हो गई हैं।  इन सब के बीच चीन ने एक बार फिर से हमला बोला है। चीन ने कहा कि अब ताइवान स्ट्रेट के पास सैन्य अभ्यास बेहद जरूरी है।

पेलोसी की इस यात्रा पर भड़का पाकिस्तान

नैंसी पेलोसी की ताइवान यात्रा पर अब पाकिस्तान ने बड़ा बयान दिया है। पाकिस्तान ने कहा कि पेलोसी की इस यात्रा से क्षेत्रीय शांति पर गंभीर प्रभाव पड़ेगा।

चीन ने ताइवान के खिलाफ मिलिट्री ऑपरेशन शुरू किया

चीन की सेना पीएलए ने ताइवान के चारों ओर फायर ड्रिल और टारगेटेड मिलिट्री ऑपरेशन को शुरू कर दिया है। चीन की समाचार एजेंसी शिन्हुआ ने इसकी जानकारी दी है। 

दुनिया के लिए अहम क्यों है ताइवान?

फोन, लैपटॉप, घड़ी से लेकर कार तक में लगने वाले ज्यादातर चिप ताइवान में बनते हैं। ताइवान की वन मेजर कंपनी दुनिया के आधे से अधिक चिप का उत्पादन करती है। इसी वजह से ताइवान की अर्थव्यस्था दुनिया के लिए काफी मायने रखती है। अगर ताइवान पर चीन का कब्जा होता है तो दुनिया के लिए बेहद अहम इस उद्योग पर चीन का नियंत्रण हो जाएगा। इसके बाद उसकी मनमानी और बढ़ सकती है।  

पेलोसी की ताइवान यात्रा पर भड़का चीन

चीन ने अमेरिकी प्रतिनिधि सभा की अध्यक्ष नैंसी पेलोसी की ताइवान की हाई-प्रोफाइल यात्रा पर कड़ा विरोध दर्ज कराने के लिए अमेरिकी राजदूत को तलब किया है। चीन ने चेतावनी देते हुए कहा कि अमेरिका को इस गलती की भारी कीमत चुकानी पड़ेगी। अमेरिका ताइवान में दखलअंदाजी बंद करे।

दुनिया में लोकतंत्र और निरंकुशता के बीच संघर्ष: पेलोसी 

अमेरिकी स्पीकर पेलोसी ने कहा कि दुनिया में लोकतंत्र और निरंकुशता के बीच संघर्ष है। जैसा कि चीन समर्थन हासिल करने के लिए अपनी सॉफ्ट पावर का उपयोग करता है, हमें ताइवान के बारे में उसकी तकनीकी प्रगति के बारे में बात करनी होगी और लोगों को ताइवान के अधिक लोकतांत्रिक बनने का साहस दिखाना होगा। 

चीन-ताइवान के बीच विवाद क्या है?

ताइवान दक्षिण पूर्वी चीन के तट से करीब 100 मील दूर स्थिति एक द्वीप है। ताइवान खुद को संप्रभु राष्ट्र मानता है। उसका अपना संविधान है। ताइवान में लोगों द्वारा चुनी हुई सरकार है। वहीं चीन की कम्युनिस्ट सरकार ताइवान को अपने देश का हिस्सा बताती है। चीन इस द्वीप को फिर से अपने नियंत्रण में लेना चाहता है। चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ताइवान और चीन के पुन: एकीकरण की जोरदार वकालत करते हैं। ऐतिहासिक रूप से से देखें तो ताइवान कभी चीन का ही हिस्सा था। 

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