बलरामपुर में आबादी वाले क्षेत्र में आए दिन हो रही हैं तेंदुए की घटनाएं

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बलरामपुर में आबादी वाले क्षेत्र में आए दिन हो रही हैं तेंदुए की घटनाएं

बलरामपुर में आबादी वाले क्षेत्र में आए दिन हो रही हैं तेंदुए की घटनाएं


संवाददाता के बी गुप्ता

बलरामपुर : बलरामपुर सुहेलवा वन्यजीव प्रभाग वरहवा रेंज अंतर्गत बुधवार बीती रात मे पुरनपुर मजरा ठाकुरपुरवा गांव के उत्तर पूर्व ब्लाक प्रमुख हर्रैया सतघरवा विजय कुमार यादव के खेत मे छुट्टा मवेसी को तेंदुए ने बनाया एक सप्ताह पूर्व निवाला बनाया था जिसका  अवशेष मिलने से आसपास गांव मे दहशत व्याप्त था।दिनेश कुमार, अटल बिहारी मौर्या बताते है कि तेंदुआ ठाकुरपुरवा गांव के बाहर घूमकर मवेसियो पर हमला कर रहा है।इसी गांव के बाहर कुछ माह पूर्व गन्ने के खेत मे मादा तेंदुआ मृत पाया गया था।

जंगलवर्ती क्षेत्र में मानव आबादी का दखल बढ़ा है। जंगल में गांव है या फिर गांव में जंगल, इस बात का पता लगाना मुश्किल है। जंगल में मानव का दखल बढ़ने से वन्यजीव हिंसक हो रहे हैं। वे आवादी में घुसकर मानव को घायल करने से नहीं चूकते। साथ ही जंगलवर्ती क्षेत्रों में वन्यजीव फसलों को काफी नुकसान पहुंचाते हैं। इस पर अंकुश लगा पाना सरकार के बस की बात नहीं है। बावजूद इसके वन्यजीव प्रभाग के अधिकारी मानव का दखल जंगल में रोकने को प्रतिबद्ध हैं। जंगलवर्ती क्षेत्र में ग्रामीणों के प्रवेश पर रोक लगाई गई है।

आजादी के पूर्व राप्ती नदी पुल पार करते ही जंगल का दायरा शुरू हो जाता था। सोहेलवा वन्यजीव क्षेत्र की तस्वीर देश के प्रमुख बंदरगाहों में टंगी होती थी। यहां अन्य देशों के लोग भी वन्यजीवों का शिकार परमिट बनवाकर करते थे। तब और अब में बहुत अंतर आ गया है। आज की तारीख में वन्यजीव क्षेत्र में कोई शिकार नहीं कर सकता। सोहेलवा जंगल को संरक्षित क्षेत्र घोषित किया गया है। शिकार पूरी तरह प्रतिबंधित है। समय के साथ-साथ वन्यजीव क्षेत्र का दायरा भी घटता गया।

आज की तारीख में सोहेलवा वन्यजीव क्षेत्र का दायरा 452 हेक्टेयर क्षेत्रफल में फैला होने की बात कही जा रही है। यह जंगल तुलसीपुर तहसील के गैसड़ी, पचपेड़वा क्षेत्र में फैला हुआ है। वन माफिया जंगल में वृक्षों के अवैध कटान पर हावी हैं। मौका मिलते ही वे जंगल में घुसकर कीमती लकड़ियां काट लेते हैं। वन्यजीवों का शिकार फिलहाल वर्ष 2008 के बाद बंद हो चुका है। जंगल में एसएसबी जवान तैनात हैं।

जंगल से सटे गांव में बढ़ रही दिक्कत: बात शुरू करते हैं हर्रैया ब्लाक क्षेत्र से। यहां लम्बीकोहल, बृजवासी पुरवा, बरगदपुरवा, तेलीपुरवा, केवलपुर, दर्जिनिया प्रथम, सेमरापुरवा, भरनपुरवा, दूबेपुरवा, बहादुरपुर, सिसहनिया, चनरगहिया, भरपुरचेतिया आदि गांव जंगल से सटे हैं। इन गांव की दूरी जंगल से 100 मीटर से अधिक नहीं है। इसी तरह बनकटवा रेंज से डिहिवा, कुकुरभुकवा, इमिलिहिवा, बनकटी, पासीपुरवा, राज बहादुरपुर बनकटी आदि गांव सटे हैं। तेंदुआ, भदवार,गोनहवा,हरिजनपुरवा, पासीपुरवा,अहिरनपुरवा, हासिमपुरवा, इस्लामपुर, भरपुरवा, इबरारपुरवा, बरहवा, गुरुदासपुर, गंगापुर, छितौनी, बग्घरवा, लखाही, भदवार, गिरगिटही, रौतार, शंकरपुर, केवलपुर, नेवलगढ़, गंजड़हवा, बनकटवा व टिकुलीगढ़ गांव जंगल से 50 मीटर करीब हैं। जिससे इन क्षेत्रों में हमले का खतरा मंडराता रहता है। प्रभागीय वनाधिकारी प्रखर गुप्ता ने बताया टीम लगाई गई है।

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