नेपाल विमान दुर्घटना में मारे गए भारतीयों की अंत्येष्टि पशुपतिनाथ मंदिर परिसर में की जाएगी

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नेपाल विमान दुर्घटना में मारे गए भारतीयों की अंत्येष्टि पशुपतिनाथ मंदिर परिसर में की जाएगी

नेपाल विमान दुर्घटना में मारे गए भारतीयों की अंत्येष्टि पशुपतिनाथ मंदिर परिसर में की जाएगी


रिपोर्टर रतन गुप्ता

सोनौली /नेपाल 

भारतीय दूतावास सूत्रों ने बताया कि पोस्टमार्टम के बाद परिजनों को अपने प्रियजनों के शव मिलने के बाद पशुपतिनाथ मंदिर परिसर में अंत्येष्टि की जाएगी। यह मंदिर बागमती नदी के तट पर स्थित है। यह नेपाल में सर्वाधिक प्रमुख हिंदू मंदिर है।

मस्टैंग में थासांग-2 के सानोसवेयर में तारा एयर का विमान दुर्घटनाग्रस्त हुआ थाइसमें तीन जापानी, चार भारतीय समेत कुल 19 यात्री सवार थेविमान के मस्टैंग के लेटे क्षेत्र में पहुंचने के बाद, संपर्क टूट गया था ।

 नेपाल के पर्वतीय मुस्तांग जिले में विमान दुर्घटना में मारे गए एक भारतीय परिवार के चार सदस्यों की अंत्येष्टि पोस्टमार्टम के बाद काठमांडू के पशुपतिनाथ मंदिर परिसर में की जाएगी। कारोबारी अशोक त्रिपाठी (54), अपनी पत्नी वल्लभी बांडेकर त्रिपाठी (51) अपने बेटे धनुष (22) और बेटी रीतिका (15) के साथ नेपाल की यात्रा पर आए थे। रविवार को हुई विमान दुर्घटना में मारे गए 22 लोगों में वे भी शामिल थे। भारतीय दूतावास सूत्रों ने बताया कि पोस्टमार्टम के बाद परिजनों को अपने प्रियजनों के शव मिलने के बाद मंदिर परिसर में अंत्येष्टि की जाएगी। यह मंदिर बागमती नदी के तट पर स्थित है। यह नेपाल में सर्वाधिक प्रमुख हिंदू मंदिर है।

मस्टैंग में थासांग-2 के सानोसवेयर में तारा एयर का विमान दुर्घटनाग्रस्त हुआ। तारा एयर का 9 एनएईटी ट्विन इंजन विमान रविवार की सुबह पहाड़ी जिले मस्टैंग में लापता हो गया था। इस जहाज के मलबे को कोवांग गांव में पाया गया है। इस विमान में तीन जापानी, चार भारतीय समेत कुल 19 यात्री सवार थे। मुख्य जिलाधिकारी ने कहा कि हवाई जहाज को आखिरी बार मुस्तांग जिले में देखा गया था। बाद में इसे माउंट धौलागिरी की ओर मोड़ दिया गया, जिसके बाद इसे नहीं देखा गया था।
विमान ने रविवार सुबह भरी थी उड़ान तारा एयर का 9 NAET डबल इंजन विमान ने पोखरा से जॉमसम के लिए सुबह 9.55 बजे उड़ान भरी थी। इस हवाई जहाज को कैप्टन प्रभाकर घिमिरे उड़ा रहे थे। हवाई अड्डा प्राधिकरण के अधिकारियों ने बताया कि विमान के मस्टैंग के लेटे क्षेत्र में पहुंचने के बाद, संपर्क टूट गया था।

धौलागिरी और अन्नपूर्णा पहाड़ों के बीच स्थित है मस्टैंग क्षेत्र

मस्टैंग शब्द तिब्बती मुंटन से लिया गया है जिसका अर्थ है "उपजाऊ मैदान"। पारंपरिक क्षेत्र काफी हद तक शुष्क है। धौलागिरी और अन्नपूर्णा पहाड़ों के बीच तीन मील लंबवत नीचे जाने वाली दुनिया की सबसे गहरी घाटी इस जिले से होकर गुजरती है।

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