चैत्र नवरात्रि में नेपाल के दांग चौखड़ा से भारत सीमा के तुलसीपुर शक्ति पीठ देवीपाटन में आने वाली पीर रतन नाथ की शोभायात्रा तैयार

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चैत्र नवरात्रि में नेपाल के दांग चौखड़ा से भारत सीमा के तुलसीपुर शक्ति पीठ देवीपाटन में आने वाली पीर रतन नाथ की शोभायात्रा तैयार

चैत्र नवरात्रि में नेपाल के दांग चौखड़ा से भारत सीमा के तुलसीपुर शक्ति पीठ देवीपाटन में आने वाली पीर रतन नाथ की शोभायात्रा तैयार


संवाददाता के बी गुप्ता 

बलरामपुर:  सदियों से चैत्र नवरात्रि में नेपाल के दांग चौखड़ा से भारत सीमा उत्तर प्रदेश बलरामपुर जिले के तुलसीपुर शक्ति पीठ देवीपाटन में आने वाली पीर रतन नाथ की शोभायात्रा नेपाल- भारत के संबंधों को प्रगाढ़ता दे रही है। यह यात्रा नेपाल और भारत के रोटी-बेटी संबंधों को और मजबूत कर रही है। नेपाल-भारत दोनों देश संत समुदाय के लोग इस धार्मिक सांस्कृतिक यात्रा में हजारों लोग शामिल होते हैं।रविवार देर रात्रि यह शोभा यात्रा नेपाल से कोइलाबास सीमा होते हुए भारत में प्रवेश किया। इस यात्रा को लेकर जिला प्रशासन के द्वारा सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं। क्या है परम्परा हर वर्ष चैत्र नवरात्रि की पंचमी को नेपाल जनपद के दांग चौखड़ा से पीर रतन नाथ (पात्र देवता) की शोभा यात्रा शक्ति पीठ मंदिर देवीपाटन पहुंचती है। यात्रा नेपाल से भारतीय सीमा कोइलाबास में नवरात्रि की द्वितीय को पहुंचती है। यहां से सीमा क्षेत्र के जनकपुर में तीन दिन विश्राम करने के उपरांत पंचमी के दिन पैदल कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच मंदिर देवीपाटन पहुंचती है। यात्रा में क्षेत्र के हजारों साधु संत एंव लाखो की संख्या मे लोग शामिल होते हैं। देवीपाटन मंदिर पर परम्परागत ढ़ग से मंदिर के पीठाधीश्वर महंत

यात्रा का स्वागत कर पात्र देवता का दलीचे पर स्थापित कराते हैं। पंचमी से नवमी तक शक्तिपीठ पर पीठ के पुजारियों के बजाय नेपाल से आये पात्र देवता के मुख्य पुजारी द्वारा पूजन की जाती है।

धार्मिक महत्व:

इस यात्रा के बारे में कहा जाता है कि युगों पूर्व महायोगी गुरु गोरक्षनाथ जी से प्रेरित होकर दांग चौखड़ा के राजा रतन सेन ने महायोगी से दीक्षा ली। उसके उपरांत ये रतन नाथ कहलाए। गुरु गोरखनाथ जी के निर्देश पर शक्तिपीठ मंदिर देवीपाटन में वर्षों तक तपस्या की, उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर आदिशक्ति ने वरदान मांगने को कहा। जिस पर उन्होंने कहा कि सिर्फ मेरे द्वारा ही पूजा हो। जिस पर आदिशक्ति ने कहा कि चैत्र नवरात्रि की पंचमी से नवमी तक तुम्हारे द्वारा ही पूजा होगी होने का आशीर्वाद दिया। बताया जाता है कि रतन नाथ योगी तभी से मां की पूजन करने यहां आते थे । रतन नाथ योगी के द्वारा शरीर त्यागने के उपरांत उनका प्रतीक पात्र देवता की यह यात्रा आज भी देवीपाटन पहुंचती है।
देवीपाटन पीठाधीश्वर मिथिलेश नाथ योगी ने बताया कि यात्रा के आगमन को लेकर पूरी तैयारी की जा चुकी है। आज द्वितीया की देर रात्रि तक यात्रा भारतीय सीमा कोइलाबास में पहुंचेगी। उप जिलाधिकारी मंगलेश दुबे ने बताया कि सुरक्षा को लेकर आवश्यक निर्देश दिये गये हैं।

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