कब तक रूकेगा,दवा की कालाबाजारी का ये गोरख धंधा ?

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कब तक रूकेगा,दवा की कालाबाजारी का ये गोरख धंधा ?

कब तक रूकेगा,दवा की कालाबाजारी का ये गोरख धंधा ?


जबलपुर।  पिछले दिनों प्रदेश में नकली रेमडिसिवर इंजेक्शन जैसे दवा की कालाबजारी से प्रदेश के लोग को परेशान होते देखा गया था । अब यही स्थिति( म्यूकोरमाइकोसिस ) काले फंगस के इलाज में उपयोग आने वाली दवा बाजार से गायब हो गई है । इसकी भी कालाबाजारी तेजी से देखी जा रही है । यह रोग अचानक सामने आया है । अब तक कम इस्तेमाल में आने वाली दवाओं का उपयोग कम  और उत्पादन सीमित था । इस बीमारी के लिए जो एन्टी फंगस दवा के लिए कुछ कंपनियों का कहना है कि इसका कच्चा माल उपलब्ध नही है । इसलिए भी उत्पादन नही हो पा रहा है । यह कितना सच है ऐसे कहना मुनासिब  नही,लेकिन बात यह है कि ब्लैक फंगस में काम आने वाली एम्फोटेरिसिन  बी नाम की दवा भारत की कम्पनियां बनाती है । लेकिन अब ये दवा ब्लैक में बिक्री की जा रही है । म्यूकोरमाइकोसिस बेहद  दुर्लभ संक्रमण है । ये म्यूकर फफूंद से होता है । जो आम तौर पर मिट्टी , पौधों, खाद, सड़े हुआ फल, और सब्जियों में पनपता है ।

देश मे इसके मामले तेजी से सामने आ रहे है । इसके चलते इसके इंजेक्शन की मांग भी ज्यादा हो गई है । लेकिन सवाल ब्लैक  फंगस का ही नही , बल्कि रेमडिसिवर इंजेक्शन को लेकर आपा धापी अभी खत्म नही हुई है । सरकारों ने अब यह व्यवस्था बनाए रखी है कि जरूरत मन्द को डॉक्टर के आग्रह पर इंजेक्शन अस्पताल में ही उपलब्ध करा दिया जा रहा है । लेकिन अभी कुछ निजी अस्पताल वाले मरीजो को बाहर से इनजेक्शन मंगा रहे है । जबकि डॉक्टर जानते हैं कि नई व्यवस्था के तहत इनजेक्शन मिलेगा का कहाँ से ?  इस कारण मरीज के परिवार वाले कोरोना या ब्लैक फंगस की दबा ज्यादा दामो में ब्लैक मार्केट से खरीद रहे है ।  सरकार और प्रशासन को चाहिए कि इस मुशीबत की घड़ी में ज्यादा से ज्यादा दवा  मरीज के परिजन को सरलतापूर्वक  और वाजिब दामो में उपलब्ध हो जाए। और दवा की कालाबाजारी पर भी जल्द से जल्द रोक कैसे लगे ।

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