धैर्य मत देख अकेला छोड़ दे, मत परीक्षा ले हवा, मुख मोड ले

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धैर्य मत देख अकेला छोड़ दे, मत परीक्षा ले हवा, मुख मोड ले

धैर्य मत देख अकेला छोड़ दे, मत परीक्षा ले हवा, मुख मोड ले


हवा 
     और
            दीप

दीप बन कर मैं जला हर मोड़ पे ।
मत परीक्षा ले हवा मुख मोड़ ले।।

टिमटिमाता रहूंगा मैं पथ पर।
मुश्किलों से लड़ूंगा रात भर।।

मैं पथिक ,मैं अकेला हूं मगर।
रोक सकती नहीं तुम मेरी डगर।।

तन जला कर  जग में उजाला किया।
खुद अंधेरे में रहा उजाला है दिया।।

धैर्य मत देख अकेला छोड़ दे।
मत परीक्षा ले हवा,मुख मोड ले।।

खुद  को जला, जग का सहारा मैं बना।
राह सुनी थी , किनारा मैं बना।।

जागरण का गीत गाना है मुझे।
हूं पथिक,पथ में चले जाना  मुझे।।

तू पवन..., मुझमें अगन...जल जाएगी।
हूं अटल ,सारी बला टल जाएगी।।

साथ मेरा दे तो रिश्ता जोड़ ले।
मत परीक्षा ले हवा मुख मोड़ ले।।

जय शंकर मिश्र, सवयसाची
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