दीपावली पर कैसे करें लक्ष्मी-गणेश का पूजन, जानें पूजन विधि और बीज मंत्र

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दीपावली पर कैसे करें लक्ष्मी-गणेश का पूजन, जानें पूजन विधि और बीज मंत्र

दीपावली पर कैसे करें लक्ष्मी-गणेश का पूजन, जानें पूजन विधि और बीज मंत्र


पब्लिक न्यूज डेस्क। हिंदी पंचांग के अनुसार दीपावली का पर्व 04 नवंबर को कार्तिक मास की अमावस्या के दिन मनाया जाएगा। दीपावली के दिन ऋद्धि-सिद्धि के दाता भगवान गणेश और मां लक्ष्मी के पूजन का विधान है। इसके साथ ही इस दिन धन के देवता कुबेर, मां सरस्वती और मां काली का भी पूजन किया जाता है। दीपावली पर गणेश-लक्ष्मी पूजन का सबसे शुभ मुहूर्त शाम को 06.10 से 8.00 बजे तक है। आइए जानते है दीपावली के दिन किस तरह लक्ष्मी-गणेश का पूजन करना चाहिए...

लक्ष्मी-गणेश की पूजन विधि

दीपावली के दिन गणेश-लक्ष्मी के पूजन के लिए सबसे पहले एक चौकी पर लाल रंग का आसन बिछा कर गणेश-लक्ष्मी की प्रतिमा स्थापित करें। इनके साथ भगवान कुबेर, मां सरस्वती और कलश की स्थापना करें। इसके बाद -

ऊं अपवित्र: पवित्रो वा सर्वावस्थां गतोपि वा।

य: स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं स: वाह्याभंतर: शुचि:।

मंत्र का जाप करते हुए तीन बार गंगा जल से छिड़क कर सभी स्थान को शुद्ध करना चाहिए। पूजन का संकल्प लेते हुए भगवान गणेश और कलश की पूजा करना चाहिए। हाथ में फूल लेकर गणेश जी का ध्यान करें और उनके बीज मंत्र - ऊं गं गणपतये नम:। और

म् उमासुतं सु शोक विनाशकारकं नमामि विघ्नेश्वरपादपंकजम्।

मंत्र का 3 बार जाप करते हुए उन्हें सिंदूर का तिलक करें और दूर्वा चढ़ाए। इसके बाद कलश पूजन के लिए कलश पर मौली बांधे, उसमें गंगा जल भर आम के पत्ते और नारियल रखें। कलश को जनेऊ, फल-फूल, रोली, अक्षत चढां कर, गोबर से गौरा का बनाकर उन्हें सिंदूर चढ़ाएं। इसके बाद मां लक्ष्मी को रोली से तिलक करते हुए, उन्हें धूप-दीप और वस्त्र चढ़ाएं। मां लक्ष्मी की पूजन उनके बीज मंत्र और इन मंत्रों का जाप करते हुए करें –

ॐ श्रींह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ॐ महालक्ष्मी नम:।।

ॐ ह्रीं श्री क्रीं क्लीं श्री लक्ष्मी मम गृहे धन पूरये, धन पूरये, चिंताएं दूरये-दूरये स्वाहा:।

ॐ श्रीं ल्कीं महालक्ष्मी महालक्ष्मी एह्येहि सर्व सौभाग्यं देहि मे स्वाहा।।

इसके साथ ही दीपावली के दिन मां लक्ष्मी के श्री सूक्त का पाठ करना चाहिए। इनके साथ ही धन कुबेर और मां सरस्वती का पूजन भी इसी विधि से करें। मां काली का पूजन अद्धरात्रि में करने का विधान है। सभी देवी-देवताओं के पूजन के बाद हवन करना चाहिए। गणेश लक्ष्मी को खील-बताशे, नैवेद्य, पान-सुपारी,फल, पंचामृत का भोग लगाएं। पूजन का अतं लक्ष्मी-गणेशी की आरती गा कर करना चाहिए। पूजा से उठकर पूरे घर में दिये जलाए जाते हैं और पूजन का प्रसाद सब में बांटना चाहिए।

डिस्क्लेमर

''इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना में निहित सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्म ग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारी आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना के तहत ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।''

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