सीएम और चीफ जस्टिस सम्मेलन में बोले CJI एनवी रमना- कोर्ट के फैसलों को नहीं मानती सरकारें

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सीएम और चीफ जस्टिस सम्मेलन में बोले CJI एनवी रमना- कोर्ट के फैसलों को नहीं मानती सरकारें

सीएम और चीफ जस्टिस सम्मेलन में बोले CJI एनवी रमना- कोर्ट के फैसलों को नहीं मानती सरकारें


पब्लिक न्यूज़ डेस्क।  प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज विज्ञान भवन में मुख्यमंत्रियों और हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस सम्मेलन का उद्घाटन किया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बाद चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया एनवी रमना ने भी सम्मेलन को संबोधित किया। इस दौरान एनवी रमना ने पीएम मोदी के सामने ही एक बड़ी बात कह दी। एनवी रमना ने कहा कोर्ट के फैसलों पर सरकारें अमल नहीं करती, जिसके चलते कोर्ट में अवमानना मुकदमों का बोझ है।

शनिवार को मुख्यमंत्रियों और हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस सम्मेलन को संबोधित करते हुए सीजेआई एनवी रमना ने कहा कोर्ट के फैसलों पर सरकारें अमल नहीं करती, जिसके चलते कोर्ट में अवमानना मुकदमों का बोझ है, जनहित को ध्यान में रखते हुए ही कानून बने, कानून में कमी मुकदमेंबाजी की एक सबसे बड़ी वजह है। हमें लक्ष्मण रेखा का ध्यान रखना चाहिए। जनहित याचिका में अच्छे इरादों का दुरुपयोग हो रहा है।

सीजेआई एनवी रमना ने कहा कार्यपालिका ठीक काम करे तो कोर्ट आने की जरूरत नहीं, अवैध हिरासत में टॉर्चर खत्म हो तो कोई कोर्ट नहीं आएगा, सरकार के विभिन्न विभागों के विवाद कोर्ट में सुलझ रहे, देश में 10 लाख की जनसंख्या पर सिर्फ 20 जज हैं, ज्यूडिशियल इंफ्रास्ट्रक्चर को बेहतर बनाने की जरूरत है, कानून सम्मत हो तो कोर्ट सरकार के रास्ते में नहीं आएगी।

न्याय सुलभ हो और सभी के लिए हो- पीएम मोदी

वहीं इससे पहले सम्मेलन को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा न्यायपालिका की भूमिका संविधान संरक्षक की है, न्याय में देरी न हो इसके लिए प्रयास जारी है। न्याय सुलभ हो न्याय सभी के लिए हो। न्यायपालिका में भी तकनीकी पर जोर दे रहे। न्याय जनता से जुड़ा होना चाहिए और न्याय जनता की भाषा में होना चाहिए।

प्रधानमंत्री ने कहा न्याय की देरी को कम करने का प्रयास जारी है, बुनियादी सुविधाओं को बेहतर करने की कोशिश की जा रहीहै, कोर्ट में वैकेंसी को भरने की प्रक्रिया जारी है। ऐसी व्यवस्था हो कि न्याय त्वरित हो, न्याय जनता से जुड़ा होना चाहिए, एक संयुक्त रूप से प्रयास होना चाहिए, न्याय जनता की भाषा में होना चाहिए, फैसलों में स्थानीय भाषा पर जोर देना चाहिए, न्याय की भाषा लोगों को समझ आनी चाहिए।

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