साइबर ठगी गैंग चलाने वाला नेत्रहीन तौफीक व उसका भाई गिरफ्तार 

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साइबर ठगी गैंग चलाने वाला नेत्रहीन तौफीक व उसका भाई गिरफ्तार 

साइबर ठगी गैंग चलाने वाला नेत्रहीन तौफीक व उसका भाई गिरफ्तार 


 आगरा। साइबर सेल  रेंज आगरा ने एक नेत्रहीन और उसके भाई को साइबर ठगी में गिरफ्तार करके जेल भेजा है। आरोपित शातिर दिमाग है। नौकरी का झांसा देकर लोगों को फोन पर अपने जाल में फंसाया करता था। उसके बाद उनसे खातों में रकम जमा कराता था। गैंग ने यमुना की खादरों में अपना अड्डा बना रखा था। ताकि पुलिस पता भी लगाना चाहे तो उलझ जाए। गैंग के चार सदस्य अभी फरार हैं। उनकी तलाश की जा रही है।

सितंबर 2020 में रामपुर के घेर मीर खां जेल रोड निवासी शिवराज सिंह सेंगर के साथ साइबर ठगी की घटना हुई थी। वह अखिल भारतीय अनुसूचित जाति और शोषित वर्ग उत्थान समिति के पदाधिकारी हैं। शातिर ने रोजगार के नाम पर उन्हें जाल में फंसाकर खाते में दस हजार रुपये जमा कराए गए थे। धोखाधड़ी का पता चलने पर शिवराज सिंह केंद्रीय मंत्रालय में शिकायत की थी। मंत्रालय ने यह मामला जांच के लिए उत्तर प्रदेश रेंज साइबर मुख्यालय को भेजा था।

रेंज साइबर थाना प्रभारी इंस्पेक्टर राजेश कुमार शर्मा ने बताया कि तौफीक और उसके भाई शहजाद को गिरफ्तार करके जेल भेजा गया है। आरोपित थाना शेरगढ़ (मथुरा) के गांव बाबूगढ़ के निवासी हैं। तौफीक नेत्रहीन है, लेकिन शातिर दिमाग है। वह अपने साथी शाहरूख, मौसम और पप्पी के साथ मिलकर गैंग चला रहा था। वह लोगों को फोन करके अपने जाल में फंसाया करता था। आरोपित से चार मोबाइल, आठ एटीएम, पैन कार्ड, आधार कार्ड आदि सामान बरामद हुआ है।

ऐसे जाल में फंसाता था

पूछताछ में तौफीक ने पुलिस को बताया कि शाहरूख, मौसम और पप्पी का इंटरनेट और सोशल मीडिया से लोगों के मोबाइल नंबर खोजना था। वे लोग नंबर उसे दिया करते थे। यमुना की खादरों में बैठकर वह लोगों को फोन किया करता था। साथी उसे बोल-बोलकर नंबर बताया करते थे। वह बात करने में माहिर है। लोगों को जाल में फंसा लिया करता था। नौकरी, सस्ते ब्याज पर लोन, लॉटरी निकलने का झांसा देकर जाल में फंसाता था। तौफीक ने बताया कि खातों में रकम आने के बाद उसे एटीएम से निकाल लिया करते थे। एटीएम से रुपये निकालने की जिम्मेदारी शाहरूख की रहती थी। बीस प्रतिशत शाहरूख का हिस्सा होता था।

कीपैड वाला मोबाइल चलाता है

तौफीक ने पुलिस को बताया कि वह जन्मांध है। उसे मोबाइल नंबर याद हो जाते हैं। वह कीपैड वाला मोबाइल चलाता है। उसे पता है कि किस बटन पर कौन सा नंबर आता है। उसे फोन मिलाने में बिल्कुल भी दिक्कत नहीं होती है। उसने पुलिस को बताया कि वह लगभग 100 लोगों को रोजाना फोन मिलाया करता था। पांच से सात लोग जाल में फंस जाते थे। पहले लोग आसानी से जाल में फंसते थे। अब थोड़ा सतर्क हो गए हैं। उनके निशाने पर ग्रामीण क्षेत्र के लोग ज्यादा रहते थे।

नंबर रिचार्ज करने पर मिला सुराग

पुलिस ने बताया कि तौफीक का पता लगाना आसान नहीं था। वह फर्जी आईडी पर लिए नंबरों से लोगों को फोन करता था। उसकी कॉल डिटेल में सिर्फ वही नंबर निकलते थे, जिन्हें वे फोन मिलाया करता था। पिछले दिनों उसने फर्जी आईडी पर लिए नंबर ऑनलाइन रिचार्ज किए। उसी खाते से एक और नंबर रिचार्ज हुआ। वह तौफीक ने अपनी आईडी पर ले रखा था। उससे अपने परिजनों और दोस्तों से बात किया करता था। पुलिस ने जब उसे पकड़ा तो पहले तो पुलिस को भी लगा कि उससे भूल हो गई है। छानबीन की तो पुलिस भी हैरान रह गई।

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