कांवड़ियों पर बरस रहे फूल तो सड़क पर नमाज क्यों नहीं, असदुद्दीन ओवैसी

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कांवड़ियों पर बरस रहे फूल तो सड़क पर नमाज क्यों नहीं, असदुद्दीन ओवैसी

कांवड़ियों पर बरस रहे फूल तो सड़क पर नमाज क्यों नहीं, असदुद्दीन ओवैसी


पब्लिक न्यूज़ डेस्क।  उत्तर प्रदेश में कांवड़ियों पर फूल बरसाए जाने और प्रशासन की ओर से स्वागत करने पर असदुद्दीन ओवैसी ने सवाल उठाया है। उन्होंने कहा कि यदि कांवड़ियों के लिए ट्रैफिक को डायवर्ट किया जा सकता है तो फिर नमाज से ही क्या दिक्कत है। उन्होंने कहा कि ऐसा है तो फिर हमें भी नमाज पढ़ने दी जाए। आर्टिकल 25 के तहत सभी को धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार है। लुलु मॉल में नमाज पर ऐक्शन हुआ, जबकि 18 सेकेंड में यह खत्म हो जाती है। नमाज पढ़ने से किसी को क्या नुकसान हो जाता है। यह तो एक समुदाय से भेदभाव का मामला है। 

ओवैसी ने कहा कि इस तरह से आप एक समुदाय से भेदभाव कर रहे हैं, जो संविधान के खिलाफ है। इस पर भाजपा वाले आर्टिकल 25 का हवाला देंगे, लेकिन फिर यह भी बताएं कि नमाज पढ़ने से किसे दिक्कत है और उन्हें क्या नुकसान हो रहा है। यदि आपका नारा सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास है तो इस तरह का काम उसके मुताबिक तो नहीं है।

उन्होंने अखबार की कटिंग शेयर करते हुए ट्वीट किया, 'पुलिस ने पंखुड़ियां बौछार की। कांवड़ियों का झंडों से इस्तक़बाल किया, उनके पैरों पर लोशन लगाया और उनके साथ इंतेहाई शफ़क़त से पेश आए। दिल्ली पुलिस ने लोहारों को हटाने की बात की ताकि कांवड़िया नाराज़ न हो जाए। उत्तर प्रदेश की हुकूमत ने यात्रा के रास्तों पर गोश्त पर पाबंदी लगा दी। अगर इन पर फूल बरसा रहे हैं, तो कम से कम हमारे घर तो मत तोड़िए।' उन्होंने इस बारे में मीडिया से बात करते हुए कहा कि हमारा संविधान सेक्युलर है और वह किसी भी धर्म के प्रति नफरत या प्यार की बात नहीं करता।

केशव प्रसाद बोले- तीर्थयात्रियों की सेवा करना परंपरा है

असदुद्दीन ओवैसी की टिप्पणियों पर यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने जवाब दिया है। उन्होंने कहा कि असदुद्दीन ओवैसी तो देशविरोधी बातें करते रहते हैं। उन्होंने कांवड़ियों के स्वागत को लेकर कहा कि यह तो भारत की परंपरा है। उन्होंने कहा,  'तीर्थयात्रियों की सेवा करना परंपरा है। सेवा का काम करने का सौभाग्य जिन्हें प्राप्त होता है, उसके सुख का अनुभव वे ही कर सकते हैं। वे देश का सौहार्द बिगाड़ने वाली भाषा बंद करें। वह एक सूत्रीय एजेंडा लेकर चल रहे हैं कि एक वोट बैंक खड़ा किया जाए। इस परंपरा को किसी के बयानों से रोका नहीं जा सकता।'

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